एकलव्य स्टेडियम को द्रोणाचार्य का इंतजार
-खेल प्रतिभाओं से लबरेज जनपद में संसाधनों और प्रशिक्षकों की अंबेडकरनगरएकलव्य के मैदान पर
-खेल प्रतिभाओं से लबरेज जनपद में संसाधनों और प्रशिक्षकों की अंबेडकरनगरएकलव्य के मैदान पर यहां द्रोणाचार्य का इंतजार अभी बाकी है। खेल प्रतिभाओं से लबरेज जिले में संसाधनों के साथ ही खास तौर पर अभी प्रशिक्षकों की कमी खल रही है। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर से लेकर मंडल तथा महाविद्यालय समेत जिला स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके खिलाड़ी जिले की शान में सितारा बनकर चमक रहे हैं। वैसे तो एक अर्से से जिला वालीबॉल के खिलाड़ियों की नर्सरी रहा है। धावक अर¨वद यादव विश्व फलक पर चमक रहे हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद प्रशिक्षकों की कमी से खिलाड़ियों को तराशने की उम्मीदें कुंद पड़ी हैं।
महाभारत काल के महान धनुर्धारी एकलव्य के नाम पर बने राजकीय एकलव्य स्पोर्टस स्टेडियम का निर्माण यहां बसखारी मार्ग पर किया गया है। आधी-अधूरी तैयारी के बीच स्टेडियम का संचालन भले ही शुरू कर दिया गया हो लेकिन खिलाड़ियों को वास्तविक तौर पर तराशने की हसरत अभी अधूरी ही है। वर्ष 2008 में राजकीय स्पोर्टस स्टेडियम का निर्माण शुरू होने पर खेल प्रतिभाओं में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपने हुनर को निखारने के लिए बेहतरीन हब मिलने की उम्मीद लगाए खिलाड़ी दिन-प्रतिदिन स्टेडियम के विकास पर नजरें गड़ाए हुए थे। वजह सरकार ने इसका निर्माण 18 माह में पूरा करते हुए इसके संचालन का दावा जो किया था। हालांकि वक्त बीतने के साथ ही खिलाड़ियों को मिली इस सौगात पर अव्यवस्था, मनमानी और आर्थिक तंगी का ग्रहण लग गया। करीब 174 लाख रुपये में बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण कराया जाना तय था। इसके निर्माण में गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल के बाद गत सात साल से जांच चल रही है। वहीं वेट लि¨फ्टग हॉल का निर्माण करीब 189 लाख रुपये से पूरा हो चुका है। डॉरमेट्री के निर्माण पर भी 56 लाख रुपये खर्च करने के साथ ही भव्य तरणताल के निर्माण पर लगभग 224.97 लाख रुपय खर्च होने का दावा किया जा रहा है। जूडो हॉल को छोड़ दिया जाए तो सभी निर्माण पूरे हो चुके हैं। ऐसे में यहां खिलाड़ियों को दस्तक देनी चाहिए। वहीं खेल विभाग की मानें तो यहां करीब 30 से 40 खिलाड़ी पंजीकृत हैं। प्रशिक्षकों के उपलब्ध नहीं होने से खिलाड़ियों को मायूस होना पड़ता है। उपलब्ध संसाधन भी बगैर प्रयोग हुए ही नष्ट हो रहे हैं। यह आंकड़ा भी स्टेडियम की मंशा को साकार होने पर सवाल है। जिला क्रीड़ा अधिकारी नीरज मिश्र बताते हैं कि सभी खेल विधाओं में संसाधन उपलब्ध हैं। प्रशिक्षकों की तैनाती के लिए लगातार मांगपत्र भेजा जाता है।
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-महज चार प्रशिक्षकों की यहां तैनाती
अंबेडकरनगर : एकलव्य स्पोर्टस स्टेडियम पर स्थाई प्रशिक्षक के तौर पर तैराकी में जिला क्रीड़ा अधिकारी नीरज मिश्र ही तैनात हैं। इससे इतर हैंडबॉल, एथलेटिक्स, फुटबॉल और हैंडबॉल के प्रशिक्षकों को संविदा पर तैनात किया गया है। जबकि वालीबॉली की नर्सरी इस जनपद के स्टेडियम पर वालीबॉल के अलावा क्रिकेट, हॉकी, बैड¨मटन, जूडो, टेबल-टेनिस, लॉन टेनिस, कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, भारोत्तोलन, पावर लि¨फ्टग, ताइक्वांडो समेत अन्य खेलों के प्रशिक्षक नहीं है। हालांकि इन खेलों में जिलेभर से करीब 600 से अधिक खिलाड़ी होने अंदाजा लगाया जाता है। यह बात दीगर है कि खेल विभाग की ओर से खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने से पहले यहां से सभी खेलों में खिलाड़ियों को चयनित करने के लिए ट्रायल जरूर आयोजित किया जाता है। इसमें भी खेल विभाग को मायूसी ही हाथ लगती है। जबकि युवा कल्याण विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से ग्रामीण खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने पर खिलाड़ियों का हुजूम दिखता है। ऐसे में प्रशिक्षकों की तैनाती से इन प्रतिभाओं को निखारने में मदद मिल सकती है।
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-डॉरमेट्री नहीं बन सकी हॉस्टल
अंबेडकरनगर : स्टेडियम में खिलाड़ियों को ठहरने तथा यहां रहकर अभ्यास को बढ़ावा दिए जाने के मकसद से खेल विभाग ने डारमेट्री को हॉस्टल के रूप में तब्दील किए जाने की मंशा जाहिर की थी। शासन स्तर पर बाकायदा प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। हालांकि इसे हॉस्टल के तौर पर अभी तक विकसित नहीं किया जा सका है। ऐसे में खिलाड़ियों को तराशने और यहां आकर्षित करने में स्टेडियम अभी नाकाम है।