विवाह में भीड़ रोकना चुनौती, कान फोड़ रहे लाउडस्पीकर
कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाने में इन दिनों शादी-विवाह के समय जोर का शोर मच रहा है।
अंबेडकरनगर: कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाने में इन दिनों शादी-विवाह के बीच घरातियों और बरातियों की भीड़ को सीमित करना पुलिस और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। प्रशासन से अनुमति लेने का कोरम पूरा करने के बाद मनमानी करना मुसीबत बढ़ा सकता है। पुलिस की कार्रवाई मांगलिक कार्यक्रम में खलल पैदा कर सकती है। इसमें दबाव झेलना सरकारी मशीनरी के लिए काफी कठिन होगा।
अनुमति के मानक धरातल पर गायब: मांगलिक कार्यक्रम में फिलहाल 100 व्यक्तियों के शामिल होने की अनुमति है। इस मानक का अधिकांश कार्यक्रमों में पालन नहीं किया जा रहा है। जगह-जगह सड़कों और गलियों में वाहनों की लंबी कतार मानक के विपरीत वैवाहिक स्थलों पर भारी भीड़ होने का संकेत देती है। कोरोना महामारी से निपटने के कानून की जानकारी होने के बाद भी खुलेआम यहां मनमानी चल रही है। पुलिस भी मांगलिक कार्यक्रम में खलल डालने से बचने के लिए चुप्पी साधे है। खैर आयोजकों को तो अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। अनावश्यक भीड़ जुटाने से महामारी कानून का उल्लंघन करने के साथ वह अपनों की जान को जोखिम में डालने के दोषी होंगे।
आफत से कम नहीं डीजे की धुन : छात्रों और बुजुर्गों के लिए डीजे और लाउडस्पीकर आफत से कम नहीं। कोरोना काल में स्कूलों में पढ़ाई पहले से बेपटरी है। दिनभर नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में रात के वक्त सरकारी व निजी कार्यालयों में कामकाज थम जाने से नेटवर्क पर बोझ कम होता है। इससे निर्बाध सेवा मिलने लगती है। इस बीच डीजे के तेज शोर से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते वहीं सुकून भरी नींद लेने के अधिकार का भी हनन होता है। बुजुर्गों के लिए तो यह वक्त जोखिम लगता है। आवाज इतनी तेज कि खिड़की, दरवाजे और दीवारें थर्राने लगती हैं। ध्वनि विस्तारक को 45 डेसीबल से अधिक आवाज में नहीं बजाया जा सकता है।
महामारी कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसके लिए निगरानी चल रही है। मानक के विपरीत साउंड बजाने पर संचालक एवं आयोजक दोनों की जवाबदेही होगी। इनके खिलाफ शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पंकज वर्मा, एडीएम