गमछा व रुमाल के कारोबारी महामारी में हो रहे मालामाल
-दोगुनी मांग के अलावा कीमतों में हुआ इजाफा -अनलॉक में मोदी गमछे से चमक गई बनुकरी
अरविद सिंह/ सत्यप्रकाश मौर्य, अंबेडकरनगर : कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने में संपूर्ण विश्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस प्रतिकूल परिस्थिति में गमछा और रुमाल की बढ़ी मांग ने बुनकरी को नई बुलंदियों पर पहुंचाया है। टांडा, जलालपुर व अकबरपुर तहसील में करोड़पती रहा गमछा और रुमाल का कारोबार अरबपती बनकर उभरा है। लॉकडाउन के दौरान पावरलूमों के बंद होने से व्यापारियों और कामगारों के साथ उद्योग आर्थिक संकट से अछूता नहीं रहा। विदेशों तक कपड़ा व्यवसाय में पहचान बनाने वाले बुनकर नगरी को एक जिला एक उत्पाद में स्थान मिला है। लॉकडाउन की पाबंदी में कच्चे माल की आपूर्ति व तैयार कपड़े का निर्यात थम गया। हालांकि कच्चे माल में धागे की महज 15 फीसद आपूर्ति चाइना, इंडोनेशिया आदि देशों से होती है। बाकी का 85 फीसद धागा स्वदेशी आपूर्ति है।
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कीमत संग बढ़ी मांग : मास्क की जरूरत ने बुनकर नगरी के गमछे, रुमाल और स्टॉल के कारोबार को दोगुनी ऊंचाई तक पहुंचा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर कृत्रिम मास्क की जगह गमछा एवं रुमाल का प्रयोग तेज हुआ। पीएम जैसा गमछा मुंह पर बांधकर टेलीविजन पर आए वह गमछा मोदी गमछा के नाम से एक ब्रांड बन गया। मोदी गमछा की बड़ी मांग हुई। ब्रांड को पूरा करना बुनकरों के लिए कठिन हो गया। गत वर्षों में गमछा, रुमाल व स्टॉल का तकरीबन 50 करोड़ तक रहने वाला बाजार अनलॉक में ऊंची कीमत व दोगुना मांग से करीब 100 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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-फैक्ट फाइल-
जिले में बुनकर कस्बा : टांडा, इल्तिफातगंज, हंसवर, बसखारी, किछौछा,जलालपुर व अकबरपुर
कुल पॉवरलूम : 60 हजार
बुनकरी से जुड़े लोग : डेढ़ लाख
धागे की खपत : 1500 क्विटल
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अनलॉक के बाद विभिन्न डिजाइनों के अराफाती रुमाल की मांग तेज है। डंप स्टॉक बिक्री के साथ बंद पड़े करघों में फिर से रुमाल बुनाई तेज हुई है।
अनाम अंसारी, बुनकर
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अनलॉक के बाद से महिलाओं, लड़कियों द्वारा मुंह में बांधने वाले स्टॉल की बाजार में काफी डिमांड रही। कपड़ा कारोबार इससे काफी सहारा मिला है।
मोहम्मद शाहिद, बुनकर
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अप्रैल से ही गमछों की मांग शुरू हो जाती है। इस बार अनलॉक शुरू होने के बाद गमछा बाजार में तेजी रही। मोदी ब्रांड गमछा भी खूब चल रहा है।
हाजी अब्दुल्ला, बुनकर