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भाईचारे और आत्मनियंत्रण का संदेश देकर गया बकरीद पर्व

-घरों में पढ़ी नमाज एवं दुनिया के कल्याण की मांगी दुआ -महामारी से बचाव की पाबंदियों के बीच हुई कुर्बानी रस्म

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 10:57 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 10:57 PM (IST)
भाईचारे और आत्मनियंत्रण का संदेश देकर गया बकरीद पर्व
भाईचारे और आत्मनियंत्रण का संदेश देकर गया बकरीद पर्व

अंबेडकरनगर : ईद-उल-अज्हा (बकरीद) का त्योहार जनपद में सकुशल संपन्न हो गया। बकरीद की विशेष नमाज घर में ही पढ़ी गई। मीरानपुर बड़ा इमामबाड़ा परिसर स्थित जामा मस्जिद में सुबह छह बजे ईद-उल-अज्हा की नमाज अदा हुई। मौलाना मुहम्मद अब्बास रिजवी ने कहा पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हजरत इस्माईल को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान किया था। खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवनदान दिया। ईद-उल-अजहा उसकी याद है। पेवाड़ा-मीरानपुर की मस्जिद ख्वाजा गरीब नवाज के इमाम हाफिज नसीरूद्दीन अंसारी ने खुत्बे में कहा इस्लाम में बलिदान का अत्याधिक महत्व है। कहा अपनी सबसे प्यारी चीज रब की राह में खर्च करो। रब की राह में खर्च करने का अर्थ नेकी और भलाई है। मस्जिद लतीफिया के पेशइमाम मौलाना अकबर अली मिस्बाही ने कहा यह इस्लाम धर्म का प्रमुख तथा फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन है। इस त्योहार पर गरीबों का विशेष ध्यान देने को कहा। जलालपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम मछलीगांव में मौलाना नूरूल हसन रिजवी ने नमाज अदा कराई।

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मुबारकपुर : टांडा नगर समेत आसपास क्षेत्रों में बकरीद की नमा•ा ईदगाह व मस्जिदों में पांच व्यक्तियों के साथ अदा की गई। पालिका प्रशासन द्वारा क्षेत्र की सफाई आदि की व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त रही। मुबारकपुर जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद दानिश चिश्ती ने कहा बकरीद का पर्व अल्लाह की र•ा हासिल करने के लिए मनाया जाता है।

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कुर्बानी में सुरक्षा पर रहा ध्यान : शनिवार को सुबह से शाम तक कुर्बानी का सिलसिला चला। दस्ताने, मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग तो निजी तौर पर लोगों ने किया, लेकिन नगरपालिका परिषद की ओर से चूना छिड़काव नहीं हुआ। कुर्बानी के बाद अवशेष को जमीन में दफन किया गया। ज्यादातर अकीदतमंदों ने अपनी क्षमता के अनुसार कुर्बानी कराया। कई जगहों पर लोगों ने कुर्बानी कराने के बजाए दो से तीन हजार रूपए देकर कुर्बानी में हिस्सा लिया। मस्जिद-ए-उमर शहजहांपुर के पेशइमाम मौलाना खलीकुज्जमा कादरी ने बताया साढ़े बावन तोला चांदी की हैसियत वाले शख्स पर कुर्बानी कराना अनिवार्य रही।


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