अजादारी से हमारी पहचान
अंबेडकरनगर : अजादार हमसे नहीं हैं, बल्कि हमारी पहचान अजादारी की वजह से ही कायम है। मृत्यु से वे भय
अंबेडकरनगर : अजादार हमसे नहीं हैं, बल्कि हमारी पहचान अजादारी की वजह से ही कायम है। मृत्यु से वे भयभीत हों, जिनका कोई हादी न हो। चौदह सौ वर्ष पूर्व नवास-ए-रसूल ने कर्बला के तपते रेगिस्तान में यह संदेश दे दिया था कि मौत हमारी मीरास है।
यह उद्गार मौलाना जैगत-उर-रिजवी ने गुरुवार को ग्राम कयामुद्दीनपुर शेखपुर में व्यक्त किया। वह पूर्व अभियंता मरहूम हाशिम रजा काजमी इब्ने हादी हसन काजमी के 40वें की मजलिस को संबोधित कर रहे थे। मौलाना ने पवित्र कुरान के हवाले से कहा कि दुनिया सिर्फ खेल और तमाशा है। जिसे हम मौत समझते हैं, वास्तव में वहीं स्थायी जीवन है। मजलिस कार्यक्रम में हसन रजा काजमी, कमर जैदी, हैदर रजा काजमी, फरहत अब्बास, बादशाह हुसैन आदि मौजूद थे। आयोजक मोहम्मद कैफी रजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।