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...और आंखों की रोशनी के साथ बुझ गया घर का चिराग

एक युवक ने फांसी लगाकर आत्‍महत्‍या कर लिया। आंखों की रोशनी वापस न आ पाने से क्षुब्‍ध होकर उसने आत्‍मघाती कदम उठाया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 08:09 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 07:15 AM (IST)
...और आंखों की रोशनी के साथ बुझ गया घर का चिराग
...और आंखों की रोशनी के साथ बुझ गया घर का चिराग

प्रयागराज : एक हादसे में उसके आंख की रोशनी लगभग जा चुकी थी। उसने बहुत इलाज कराया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। इससे हताश होकर उसने फांसी के फंदे पर झूलकर अपनी इहलीला समाप्त कर दी। यह कोई फिल्म की स्टोरी नहीं, बल्कि हकीकत है जो राजू निषाद (32) के जीवन से जुड़ी रही और उसी के साथ खत्म भी हो गई। उसने बुधवार रात फांसी लगाकर जान दे दी। पीछे रह गए तो बिलखते परिजन...।

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पेड़ से लटका मिला शव

करेली थाना क्षेत्र के करेंहदा गांव निवासी राजू पुत्र महंगू ने पान की दुकान खोली थी। वह अविवाहित था। रात में वह दुकान बंद करने के बाद घर नहीं आया तो घरवालों ने खोजबीन शुरू की, लेकिन पता नहीं चला। सुबह ग्रामीणों ने पेड़ पर रस्सी के फंदे से लटकती लाश देखा। कुछ ही देर में वहां भीड़ जमा हो गई। कुछ ही देर में परिजन व पुलिस वाले पहुंच गए। सुबह घर से थोड़ी दूर आम के पेड़ पर लाश लटकते देख गांव में खलबली मच गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को नीचे उतरवाया।

वेल्डिंग के दौरान मुंबई में आंखों की रोशनी चली गई

इंस्पेक्टर करेली विनोद कुमार के मुताबिक, करीब 10 साल पहले राजू मुंबई गया था। वहां वेल्डिंग का काम करने के दौरान उसकी आंख खराब हो गई थी। उसे ठीक से दिखाई नहीं देता था। आंखों का इलाज करवा रहा था। कई साल तक इलाज के बाद भी रोशनी नहीं आई तो वह परेशान हो गया था। उसने पहले भी जहर खाकर जान देने की कोशिश की थी। राजू की मौत से मां शांति, भाई और परिजन बिलख रहे।

शिवकुटी में युवती ने फांसी लगाकर दी जान

शिवकुटी थाना क्षेत्र के कांशीराम आवास योजना में रहने वाली विनीता (22) पुत्री धनीराम ने फांसी लगाकर जान दे दी। गुरुवार सुबह परिजनों ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं मिला। खिड़की से देखा तो विनीता साड़ी के फंदे में पंखे के चुल्ले से लटक रही थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकलवाया। इंस्पेक्टर शिवकुटी अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि खुदकशी का कारण स्पष्ट नहीं है। परिजन भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं। वह चार बहनों में सबसे बड़ी थी। पिता मजदूरी करते हैं।


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