32 योग संस्थानों की सहभागिता में परमार्थ निकेतन शिविर में योग महाकुंभ
धर्म-अध्यात्म के मेले में अरैल तट पर परमार्थ निकेतन के शिविर में शुक्रवार को योग का महाकुंभ शुरू हुआ। भारतीय योग संस्थान समेत देशभर के 32 संस्थानों के योगगुरु सहभागिता कर रहे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। धर्म-अध्यात्म के मेले में अरैल तट पर परमार्थ निकेतन के शिविर में शुक्रवार को योग का महाकुंभ शुरू हुआ। सात दिवसीय आयोजन मेंं भारतीय योग संस्थान समेत देशभर के 32 संस्थानों के योगगुरु सहभागिता कर रहे हैं। प्रात:कालीन सत्र में योग गुरु बाबा रामदेव ने सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, कपाल भाती समेत योग की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया।
जिज्ञासुओं ने किया शिविर में प्रतिभाग
पतंजलि योगपीठ, आर्ट ऑफ लिविंग, कृष्णामाचार्य योग संस्थान, कैवल्यधाम, व्यासा, योग विद्या गुरुकुल, एमडीएनआइ वाय संस्थान, श्री रामचन्द्र मिशन, द योगा इंस्टीट्यूट तथा अन्य प्रमुख संस्थानों के योगाचार्यों, साधकों और जिज्ञासुओं ने शिविर में प्रतिभाग किया। आस्ट्रेलिया, पेरू, कोलंबिया, अमेरिका, साइबेरिया, कनाडा, मलेशिया, नेपाल, नार्वे, स्पेन, इंडोनेशिया, तिब्बत, कंबोडिया, श्रीलंका, थाइलैंड, ब्राजील, जर्मनी, जापान, सिंगापुर, क्रोवाशिया, अर्जेंटीना, मेक्सिको और हॉलैैंड समेत अन्य देशों के साधकों ने योग गुरुओं से बारीकियां सीखीं।
योग निद्रा का अभ्यास कराया
अगले सत्र में रामचन्द्र मिशन के नृपेंद्र सिंह ने सहज मार्ग ध्यान कराया। श्रीश्री स्कूल योग के प्रदीप पाठक ने आर्ट ऑफ लिविंग, द योग इंस्टीट्यूट के ओमप्रकाश तिवारी, कृष्णामाचारी योग मंदिर के नृत्या ने योग थेरेपी, मोरारजी देसाई योग इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के राहुल सिंह चौहान ने योग निद्रा का अभ्यास कराया।
इसके पूर्व सेक्टर 18 स्थित शिविर में योगाभ्यास शिविर का शुभारंभ मिजोरम के राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन, योग गुरु स्वामी रामदेव, स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती और कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
योग गुरुओं ने किया जिज्ञासाओं का समाधान
सायंकालीन सत्संग सत्र में योग गुरुओं ने जिज्ञासाओं का समाधान किया। चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग सार्वभौमिक है और इसका जन्मदाता है। योग, शरीर, आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है। जिस प्रकार यह आत्मा से परमात्मा का मिलन कराता है उसी प्रकार योग दुनिया की विभिन्न संस्कृति का मिलन कराता है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग हमें सम्यक् भाव से पूरी दुनिया से जुडऩा और जोडऩा सिखाता है। योग और ध्यान में वह शक्ति है, जो कि तनाव मुक्त जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करती है।