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यूपीपीसीएस-2015 में गलत तरीके से चयनित अफसर तलाश रहे सीबीआई से बचने का रास्ता

गलत तरीके से अपना चयन कराने में सफल हो चुके जिन पीसीएस अफसरों के सीबीआइ जांच में फंसने के आसार हैं, उनमें से कई ने अब बचने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 02:18 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 02:18 PM (IST)
यूपीपीसीएस-2015 में गलत तरीके से चयनित अफसर तलाश रहे सीबीआई से बचने का रास्ता

इलाहाबाद (जेएनएन)। पीसीएस 2015 भर्ती में गलत तरीके से अपना चयन कराने में सफल हो चुके जिन पीसीएस अफसरों के सीबीआइ जांच में फंसने के आसार हैं, उनमें से कई ने अब बचने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया है। गलत तरीके से अपना चयन कराने वाले अफसर अब सत्ता के गलियारे पहुंच गए हैं।

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सीबीआइ की पड़ताल में पता चला है कि उन्होंने सत्ता व विपक्ष के करीबी नेताओं और मंत्रियों तक पहुंच बनानी शुरू की है। उप्र सचिवालय में तैनात एक समीक्षा अधिकारी के माध्यम से दो पीसीएस अफसर व लोअर सबार्डिनेट 2013 के चयनित लगातार लखनऊ पहुंचकर नेताओं को साध रहे हैं। सचिवालय में तैनात बड़े अफसरों का रुख भी सहयोगात्मक है।

उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल में हुई भर्तियों की जांच सीबीआइ कर रही है। इनमें पीसीएस 2015 में सबसे अधिक शिकायतें होने के कारण सीबीआइ ने इसे ही प्राथमिकता पर लेते हुए जांच शुरू की तो चयन में अनियमितता और अन्य गंभीर खामियां सामने आई हैंं, जिसके आधार पर सीबीआइ ने पांच मई को अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा दी है। अब तक की जांच पड़ताल में सीबीआइ के निशाने पर पीसीएस 2015 में गलत तरीके से चयनित करीब एक सौ अफसर हैं। इनमें एसडीएम व डिप्टी एसपी सहित अन्य मध्यम स्तर के अधिकारी भी संदिग्ध पाए गए हैं।

जिन चयनितों के खिलाफ सीबीआइ को अधिक सुबूत मिले हैंं उनका फंसना तय माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसका आभास चयनितों को भी हो गया है। ऐसे में अब वे खुद को निर्दोष साबित करने और बचने की जुगत में हैं। सूत्रों के अनुसार सचिवालय में ऐसे पीसीएस अफसरों और साथ में लोअर सबार्डिनेट 2013 के कई चयनितों की आवाजाही तेज हो गई है। एक समीक्षा अधिकारी के माध्यम से संदिग्ध चयनित नेताओं और मंत्रियों तक पहुंच बना रहे हैं।

पीसीएस 2015 में चयनित एक जिला पूर्ति अधिकारी, एक महिला डिप्टी एसपी के भी इस प्रयास में शामिल होने के संकेत हैं। उधर, सीबीआइ अफसरों का कहना है कि गलत तरीके से अपना चयन कराने में कामयाब हुए अफसरों की तैनाती चाहे जहां हो या उनकी पहुंच कहीं भी हो, आरोप तथ्यात्मक रूप से साबित होने पर उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। 


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