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करोड़ों की भीड़ फिर भी गंदगी का नामोनिशान नहीं, जानिए इसका सच

प्रयागराज का कुंभ मेला स्‍वच्‍छता की पहचान बन गया है। करोड़ों की भीड़ जुटी इसके बाद भी गंदगी का नामोनिशान नहीं दिखा। दुनिया भर में इस बात की चर्चा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 11:52 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 11:52 AM (IST)
करोड़ों की भीड़ फिर भी गंदगी का नामोनिशान नहीं, जानिए इसका सच
करोड़ों की भीड़ फिर भी गंदगी का नामोनिशान नहीं, जानिए इसका सच

प्रयागराज : त्रिवेणी तट पर 3500 हेक्टेयर में फैले तंबुओं के नगर में 22 करोड़ की भीड़ समा गई। विभिन्न घाटों पर स्नान किया और घर को लौट गए। इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद कुंभ मेला क्षेत्र में गंदगी का कहीं कोई नामोनिशान नहीं। इससे दुनिया भर के लोग अचरज में हैं कि यह सब कैसे संभव हुआ। रविवार को प्रयागराज के कुंभनगर आए प्रधानमंत्री ने भी कहा कि कुंभ में दुनिया भर से जो भी लोग आए, दिल्ली में मिलने के बाद कहा कि वाकई प्रयागराज का कुंभ दिव्य और भव्य है। स्वच्छता के तो कहने ही क्या। कुंभ में स्वच्छता का चर्चा दुनिया भर में हो रही है।

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कुंभ ढेरों संस्कृतियों के मिलन का साक्षी भी हो रहा है

इस बार का कुंभ ढेरों संस्कृतियों के मिलन का साक्षी भी हो रहा है। विचारों का तो मेल मिलाप हुआ ही, एक दूसरे के प्रांतों के रहन-सहन, रीति रिवाजों को समझने का अवसर भी मिला। इस कुंभ की भव्यता और दिव्यता के लिए कुंभ शुरू होने के पहले ही प्रशिक्षित किया गया था। उधर, पद की शपथ लेने के साथ से ही स्वच्छता की अलख जगाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ में भी स्वच्छता पर फोकस किया।

सीएम योगी ने हकीकत के धरातल पर स्‍वच्‍छता उतारी

इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी कहा था कि इस बार कुंभ में व्यवस्था कुछ इस तरह बनाई जाए कि संगम तट से स्वच्छता का भी संदेश वैश्विक स्तर पर जाए। योगी आदित्यनाथ ने इसे हकीकत के धरातल पर उतारा। इसके लिए कुंभ मेले में करीब 22000 स्वच्छता कर्मी लगाए गए। इनकी सेक्टरवार तैनाती की गई। व्यवस्था की देखरेख के लिए स्वच्छाग्र्रही भी तैनात किए गए, जिनकी रिपोर्ट पर व्यवस्था दुरुस्त की जाती रही और कुंभ मेला स्वच्छता के नए मुकाम तय करता रहा।

कुंभ मेले में 22 हजार शौचालय की व्यवस्था

कुंभ मेले में एक लाख 22 हजार शौचालय बनाए गए। इसी का नतीजा रहा कि पूरे मेला क्षेत्र में कहीं गंदगी नहीं नजर आई। जिसने भी कुंभ में डुबकी लगाई, उसकी जुबां पर स्वच्छता के प्रति चर्चा रही। व्यवस्था इस तरह रही कि श्रद्धालु संगम व गंगा में डुबकी लगाने के बाद पुष्प अर्पित कर आंख बंद कर सूर्यदेव को निहारते तो उतनी ही देर में स्वच्छता के ये दूत फूल पत्ती समेट लेते। इसकी कुंभ मेले में हर जुबां पर खूब चर्चा रही। धर्म अध्यात्म के मेले में स्वच्छता का राग भी हर स्नान घाटों पर सुनाई दिया।


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