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World Milk Day 2020 : गांवों में फिर बहने लगी दूध की धारा, पशुपालन के प्रति रूझान बढ़ा Prayagraj News

World Milk Day 2020 प्रवासी कामगारों की पशुपालन में रुचि बढ़ी है। बड़ी संख्या में मवेशी खरीदे जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन बढऩे से मिलावटी दूध पर अपने आप ही नियंत्रण हो सकेगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 08:35 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 08:35 AM (IST)
World Milk Day 2020 : गांवों में फिर बहने लगी दूध की धारा, पशुपालन के प्रति रूझान बढ़ा Prayagraj News
World Milk Day 2020 : गांवों में फिर बहने लगी दूध की धारा, पशुपालन के प्रति रूझान बढ़ा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। आज 1 जून को विश्‍व दुग्‍ध दिवस है, इसलिए गांवों में दुग्‍ध पालन की स्थि‍ति को जानना हमारे लिए आवश्‍यक है। श्वेत क्रांति की ओर बढ़ रहे गांवों में अलग ही बयार बहने लगी है। देखादेखी ही सही गांवों में कोई एक तो कोई दो भैैंस, गाय पालने लगा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक माह के दौरान 30 हजार से ज्यादा भैैंसों तथा नौ हजार गायों की खरीद-फरोख्त हुई है।

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प्रवासी कामगारों में पशुपालन के प्रति उत्‍साह

जिले में 16 हजार के करीब प्रवासी कामगारों ने पशुपालन के लिए कर्ज के लिए आवेदन किया है। इसमें सोरांव, बारा, करछना, फूलपुर और कोरांव के प्रवासी कामगार ज्यादा हैैं। शहर में भी लगभग आठ सौ प्रवासी कामगारों ने कर्ज के लिए आवेदन किया है। करछना के मोहनलाल यादव, राघवेंद्र प्रताप हों अथवा कौंधियारा के उमरी गांव के मान सिंह यादव, इन्हें पशुपालन में ज्यादा लाभ दिखाई दे रहा है।

केस एक

कोरांव के रघुवंश पटेल गुजरात में गार्ड की नौकरी करते थे। अब घर लौटे तो यहां दो भैैंस और एक गाय खरीदी। अब वह रोज 10-12 लीटर से ज्यादा दूध की बिक्री कर परिवार का पोषण कर रहे हैैं।

केस दो

सोरांव के नीलेश कुशवाहा मुंबई में एक रेस्टोरेंट में काम करते थे। लौटे तो उन्होंने भी पिता के साथ पशुपालन शुरू कर दिया। इसे वह आगे भी बढ़ाना चाहते हैैं।

रघुवंश और नीलेश तो उदाहरण मात्र हैैं। प्रवासी कामगारों के घर लौटने से न सिर्फ गांव गुलजार हो गए हैैं और घरों में रौनक लौट आई है बल्कि गांव अब समृद्धि की ओर भी तेजी से बढऩे लगे हैैं। प्रवासी कामगार स्वजन के साथ मिलकर रोजी-रोटी का जुगाड़ भी करने लगे हैैं। 

खास बातें

-13 लाख लीटर जिले में अभी है प्रति दिन का दुग्ध उत्पादन

-06 लाख लीटर से ज्यादा और उत्पादन बढ़ जाने की है उम्मीद

-08 लाख 17 हजार भैैंस की जनसंख्या है जिले में

-05 लाख 60 हजार गोवंशीय पशुओं की जिले में है तादाद।

मुख्‍य पशु चिकित्‍साधिकारी ने कहा

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरपी राय कहते हैं कि दुधारू पशुओं की खरीदारी बढ़ी है। खासतौर पर प्रवासी कामगार बड़ी तादाद में पशु पालन के धंधे में उतर रहे हैैं। इससे दुग्ध उत्पादन बढऩे की उम्मीद है। काफी लोग पशुपालन के लिए कर्ज के लिए आवेदन कर रहे हैैं।

केसीसी की तरह पीसीसी भी है

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की तरह ही पशुपालक क्रेडिट कार्ड (पीसीसी) भी बनाया जा रहा है। इसके तहत दो भैैंस के लिए 49 हजार रुपये कर्ज दिया जा रहा है। दो गाय के लिए 30 हजार रुपये का कर्ज दिया जा रहा है। इसमें छह माह तक मात्र तीन फीसद ही ब्याज है। अब तक एक हजार पीसीसी बनाया जा चुका है। इसके अलावा छह भैैंस, दो गाय की डेयरी के लिए जिसमें चन्नी, शेड भी शामिल हैैं, के लिए साढ़े पांच लाख रुपये तक कर्ज दिया जा रहा है।

सवा करोड़ से बनेगा आश्रय स्थल

गंगापार के होलागढ़ ब्लॉक के उमरिया बादल गांव में छह हेक्टेयर जमीन में पक्का गोवंश आश्रय स्थल के लिए शासन की ओर से मंजूरी मिल गई है। एक करोड़ 20 लाख रुपये का बजट भी जारी हो गया है। जल्द ही इसका निर्माण शुरू हो जाएगा। इसमें चार सौ गोवंश रखे जा सकते हैैं। यमुनापार के मांडा के देवरी तथा कोरांव के लतीफपुर गांव में पहले ही पक्का आश्रय स्थल बन चुके हैैं।


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