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World Breastfeeding Day 2021: स्तनपान कम और बेसमय कराने से बच्चे हो सकते हैं कुपोषित

World Breastfeeding Day 2021 सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन अस्पताल की एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीषा मौर्या कहती हैं कि बच्चे के जन्म के ठीक एक घंटे के भीतर उसे मां का दूध पिलाना आवश्यक है। इससे मां को भी होने वाली दिक्कतों से बचाव किया जा सकता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 09:43 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 10:19 AM (IST)
मां के दूध में असीम गुणवत्‍ता है। इससे बच्‍चे के साथ ही मां को भी बीमारियां छू नहीं पाएंगी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अधिकांश माताओं को इस जानकारी का अभाव होता है कि उनके नवजात और छह माह तक के बच्चे को दूध की कैसे और कितनी आवश्यकता होती है। शायद यही वजह है कि स्तनपान कम और बेसमय कराने से बच्चे या तो कुपोषित होते हैं या उनका मानसिक विकास अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाता। पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट (बाल रोग विशेषज्ञ) कहते हैं कि मां का दूध बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है और शून्य से छह माह तक के बच्चे को इसी का सेवन करना चाहिए।

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जन्‍म के एक घंटे में बच्‍चे को मां का दूध पिलाएं : डाक्‍टर मनीषा

सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन अस्पताल की एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीषा मौर्या कहती हैं कि बच्चे के जन्म के ठीक एक घंटे के भीतर उसे मां का दूध पिलाना आवश्यक है। इससे मां को भी अक्सर होने वाली दिक्कतों से बचाव किया जा सकता है। माताएं यह कहती हैं कि बच्चे को स्तनपान कराने के लिए दूध नहीं हो पाता, जबकि डा. मनीषा कहती हैं कि मां का दूध हमेशा बच्चे के लिए पर्याप्त होता है। मां का पीला गाढ़ा दूध गाय के दूध से भी शक्तिशाली होता है। इस बीच बच्चे को पानी और शहद आदि न पिलाएं।

बच्‍चे को 24 घंटे में आठ बार स्तनपान जरूरी

छह माह तक के बच्चे को हर 24 घंटे में आठ बार स्तनपान कराना चाहिए। रात में दो से तीन बार भी बच्चे को दूध पिलाना आवश्यक है।

सातवें माह से दें ऊपरी आहार

बच्चे को सातवें माह से मां के दूध के अलावा ऊपरी आहार देना चाहिए। वैसे तो स्तनपान कराने की अवधि दो साल तक की होती है।

तंदुरुस्ती और विकसित होता है दिमाग

स्तनपान से बच्चे की तंदुरुस्ती बढ़ती है और उसका दिमाग भी उम्र के अनुसार विकसित होता है। मां का दूध कई मायनों में फायदेमंद है।

तीन बार अपने लिए खाएं, एक बार बच्चे के लिए

माताओं को चाहिए कि दिन भर में यदि तीन बार पौष्टिक भोजन करती हैं तो चार बार खाएं। चौथी बार का आहार बच्चों के लिए होता है। इससे बच्चे के लिए मां को भरपूर दूध हो जाता है।


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