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Allahabad University : आखिर क्‍यों रैंकिंग में इतना पिछड़ गया पूरब का ऑक्‍सफोर्ड Prayagraj News

शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली हैं। शोध के स्तर में गिरावट भी प्रमुख कारण है। इविवि के रिटायर्ड प्रोफेसर एके श्रीवास्तव ने भी पूर्व कुलपति को और उनकी टीम को जिम्मेदार ठहराया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 09:14 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 08:34 AM (IST)
Allahabad University : आखिर क्‍यों रैंकिंग में इतना पिछड़ गया पूरब का ऑक्‍सफोर्ड Prayagraj News
Allahabad University : आखिर क्‍यों रैंकिंग में इतना पिछड़ गया पूरब का ऑक्‍सफोर्ड Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। आखिर क्‍यों पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय गुरुवार को जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) की रैंकिंग में पिछड़ गया। इविवि दूसरी बार टॉप-200 की सूची से बाहर हुआ। शुरुआती दौर में 65वें स्थान पर रहने वाले इविवि को क्या हुआ जो रैकिंग सूची में जगह नहीं बना पाया? सोशल मीडिया पर शुक्रवार को शिक्षाविदों और छात्र-छात्राओं में कारण-निवारण को लेकर दिनभर मंथन होता रहा जिसमें यह बात सामने आई कि नकारात्मक छवि व शिक्षकों की कमी के कारण यह स्थिति हुई है।

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शिक्षकों को आधे से अधिक पद हैं खाली

दरअसल, संस्थानों की छवि को भी रैंकिंग में अहम दर्जा दिया जाता है। विवादों से चोली-दामन जैसा नाता रखने वाले पूर्व कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू को लेकर 2019 में इविवि सुर्खियों में रहा। शिक्षक-छात्र अनुपात का आकलन भी किया जाता है। इविवि में शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली हैं। शोध के स्तर में गिरावट भी प्रमुख कारण है। इविवि के रिटायर्ड प्रोफेसर एके श्रीवास्तव ने भी पूर्व कुलपति को और उनकी टीम को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है इविवि को विद्वान, कर्मठ और ईमानदार कुलपति की आवश्यकता है। सीएमपी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष करन सिंह परिहार का कहना है कि राजनीतिक दलों का हस्ताक्षेप भी बड़ा कारण है। नवीन पाठक, हरिओम त्रिपाठी, नवनीत यादव, डॉ. जितेंद्र शुक्ल, अभिषेक द्विवेदी समेत सैकड़ों लोगों ने मंथन किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सोशल मीडिया ने सुझाव दिया कि छात्र, शिक्षक, कर्मचारी व अभिभावक संघ एक साथ मिलकर प्रयास करें तो सुधार हो सकता है। 

परसेप्शन कॉलम में मिले हैं सबसे कम अंक

एनआइआरएफ व ऑल इंडिया सर्वे ऑन हॉयर एजुकेशन के नोडल अधिकारी प्रोफेसर एआर सिद्दीकी का कहना है कि एनआइआरएफ पांच बिंदुओं पर रैंकिग तैयार करती है। 25 हजार छात्र-छात्राओं पर 317 शिक्षक का अनुपात महत्वपूर्ण है। छात्र-छात्राओं के प्लेसमेंट का रिकॉर्ड नहीं है। तीसरा प्रमुख कारण है कि नकारात्मक छवि। परसेप्शन कॉलम में इविवि को सबसे कम अंक मिलते हैं।

हिंदी में शोध करने वाला इकलौता विवि

देश का पहला इकलौता केंद्रीय विवि है जहां विज्ञान संकाय को छोड़कर अधिकांश विभागों में शोध कार्य हिंदी माध्यम में होता है। अंग्रेजी माध्यम में शोध प्रकाशित होने पर राष्ट्रीय स्तर पर खूब पढ़ा जाता है।  प्रशासनिक व्यवधानों के कारण शोध कार्य समय से जमा न होना भी बड़ा कारण है। नए शिक्षकों को सुविधाओं का लाभ नहीं मिलना भी शोध का माहौल नहीं बनने दे रहा है। 

बजट मिलता है लेकिन नहीं होता खर्च

जो भी बजट दिया जाता है वह खर्च ही नहीं किया जाता है। ताजा उदाहरण है कि विज्ञान संकाय में डीबीटी प्रोजेक्ट के तहत इविवि को 25 करोड़ रुपये सालभर पहले मिला और अब तक कार्य नहीं हुआ। इसके लिए रिमांइडर भी आया है। ऐसे में इविवि प्रशासन को बदलाव लाने की आवश्यकता है। विभाग स्तर पर शैक्षणिक ऑडिट होना चाहिए जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है।


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