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जानिए, महबूब अली ने आजादी के दिन क्‍या लिखा था अपनी डायरी में ?

इतिहासकार जयप्रकाश यादव बताते हैं कि सैयद महबूब अली जिला न्यायालय में वकील थे। वे प्रयागराज के अनेक सामाजिक संगठनों से संबंद्ध रहे। वे रोजाना डायरी लिखते थे। प्रयागराज में होने वाली डे टुडे गतिविधियों की यह डायरी लेखा जोखा है। उन्होंने डायरी किसी खराब उद्देश्य से नहीं लिखी थी।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 06:00 AM (IST)
जानिए, महबूब अली ने आजादी के दिन क्‍या लिखा था अपनी डायरी में ?
इतिहासकार जयप्रकाश यादव बताते हैं कि सैयद महबूब अली जिला न्यायालय में वकील थे। वे रोजाना डायरी लिखते थे।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में सांप्रदायिक सदभाव की जड़े काफी गहरी रही हैं। यहां के लोगों ने 1857 में मौलवी लियाकत अली के नेतृत्व में अंग्रेजों का प्रतिरोध किया तो उसके बाद मंजर अली सोख्ता, मुजफ्फर हसन, सुंदरलाल, पूर्णिमा बनर्जी, विश्वंभर नाथ पांडेय जैसे नेताओं ने कौमी एकता की अलख जगाए रखी। सांप्रदायिक एकता और सौहार्द में उन लोगों का योगदान कम नहीं था जो लुक-छिपकर आंदोलनकारियों की मदद कर देते थे। ऐसे लोगों में राजापुर के बड़े जमींदार महबूब अली थे। उनकी रोजाना डायरी लिखने की आदत थी। करीब चालीस वर्षों की डायरियां आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित है।

डे डे गतिविधियों का लेखा जोखा है संकलित
इतिहासकार जयप्रकाश यादव बताते हैं कि सैयद महबूब अली जिला न्यायालय में वकील थे। वे प्रयागराज के अनेक सामाजिक संगठनों से संबंद्ध रहे। वे रोजाना डायरी लिखते थे। प्रयागराज में होने वाली डे टुडे गतिविधियों की यह डायरी लेखा जोखा है। उन्होंने डायरी किसी खराब उद्देश्य से नहीं लिखी थी। महबूब अली ने 15 अगस्त 1947 को लिखा कि आज रमजान का 27 वां दिन था। आज देश आजाद हुआ। मुल्क से अलग हुआ हिस्सा पाकिस्तान कहलाएगा। आजादी के मौके पर शहर में सभी जगह खुशी मनाई गई। लोगों ने अपने-अपने ढंग और हैसियत से खुशी मनाई। उन्होंने लिखा है कि मैने बार एसोसिएशन के कार्यालय में वकील साहबानों को दावत दी। दावत रात बारह बजे तक चलती रही जिसमें सभी जाति धर्मों के लोग शामिल हुए।

खुशाल चंद से दोस्ती मिसाल थी
जयप्रकाश बताते हैं कि महबूब अली ने 21 अगस्त को लिखा कि मेरे दोस्त खुशाल चंद निगम हिंदू महासभा के नेता हैं। गत दो अगस्त से नैनी जेल में बंद हैं। वे कांग्रेस खासतौर पर मुसलमानों के खिलाफ हैं। मैं इलियास साहब के साथ उनसे मुलाकात करने लिए गया। जेल में आज अवकाश होने के कारण दोपहर दो बजे के बाद मुलाकात हो सकी। मैं उनकी पसंद की कई चीजे उनके लिए ले गया। मनपसंद चीजों को पाकर वे बहुत खुश हुए। परस्पर विरोधी विचारधारा का होने के बाद भी महबूब अली और खुशाल चंद की दोस्ती सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल है।

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