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पानी की बर्बादी : रोज 10.50 लाख लीटर पानी से नहाती हैं गाडिय़ां

गाडिय़ों के सर्विस सेंटरों पर पानी की बर्बादी रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैैं। हर सर्विस सेंटर में बोरिंग कराई गई है। यहां बेतहाशा शुद्ध पानी बहाया जा रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 03:40 PM (IST)
पानी की बर्बादी : रोज 10.50 लाख लीटर पानी से नहाती हैं गाडिय़ां

विजय सक्सेना, प्रयागराज : जीवन की प्राथमिक आवश्यकता पानी की स्थिति इतनी भयावह है कि रोंगटे खड़े हो जाते हैैं। जलस्रोत तेजी से घट रहे हैैं। इससे  प्रदूषण भी बढ़ रहा है। पानी में प्रदूषण, सूखते जलस्रोत, प्रदूषित होती नदियां और वर्षा जल का संचयन न हो पाने की चर्चा तो होती है लेकिन पानी की हो रही बेतहाशा बर्बादी को लेकर शायद गंभीरता कम है। इस बर्बादी के लिए शहर और बाहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर खुले चार पहिया और दो पहिया वाहन के सर्विस सेंटर भी जिम्मेदार हैैं, जहां गाडिय़ों की धुलाई पर प्रतिदिन लाखों लीटर पानी बहाया जा रहा है। इन सर्विस सेंटरों की संख्या करीब 240 है। जिनमें प्रतिदिन 9500 से अधिक चार पहिया व दो पहिया वाहनों की धुलाई होती है। इसके लिए रोज करीब 10.50 लाख लीटर पानी बहाया जाता है। 

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 शहर में जगह-जगह सर्विस सेंटरों में हो रहा पानी की बर्बादी 

शहर में सिविल लाइंस, जार्जटाउन, लूकरगंज, तेलियरगंज, ट्रांसपोर्ट नगर समेत नैनी और झूंसी में कई चार पहिया वाहनों के सर्विस सेंटर हैं। सिविल लाइंस के विभिन्न इलाकों के साथ खुल्दाबाद, सोहबतियाबाग फाफामऊ, समेत नैनी और झूंसी में अलग से चार पहिया वाहनों के सर्विस सेंटर भी हैैं। इन सर्विस सेंटरों की संख्या तकरीबन 90 है, जिसमें से शोरूमों के सर्विस सेंटरों की संख्या करीब 25 है। इसी तरह सिविल लाइंस, राजापुर, लीडर रोड, हाशिमपुर रोड, मधवापुर बैरहना समेत नैनी, झूंसी और फाफामऊ में दोपहिया वाहनों के शोरूम और उनके सर्विस सेंटर हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में भी दोपहिया वाहनों के सर्विस सेंटर भी हैैं। ऐसे सर्विस सेंटरों की संख्या तकरीबन 150 है। सर्विस सेंटरों में इन गाडिय़ों की धुलाई के लिए किसी ने भी जल कल विभाग से पानी का कनेक्शन नहीं कराया है, बल्कि सभी ने अपनी बोरिंग करा रखी है।

एक चार पहिया गाड़ी की धुलाई पर खर्च होता है 200 लीटर पानी

कंपनी के चार पहिया वाहन के सर्विस सेंटर में प्रतिदिन औसतन 25 गाडिय़ां सर्विस के लिए आती हैैं। एक गाड़ी की धुलाई में औसतन 200 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। इस हिसाब से 25 गाडिय़ों की धुलाई 5000 लीटर पानी और ऐसे 90 सर्विस सेंटरों में 2250 गाडिय़ों की धुलाई में प्रतिदिन करीब 4.50 लाख लीटर पानी इस्तेमाल हो रहा है। 

दो पहिया गाडिय़ों की धुलाई में छह लाख लीटर पानी का इस्तेमाल

दो पहिया वाहनों के शोरूम की बात करें तो शहर और बाहरी इलाकों में प्रत्येक सर्विस सेंटर में रोज औसतन 50 गाडिय़ां सर्विस के लिए आती हैैं। एक गाड़ी की धुलाई में करीब 80 लीटर पानी खर्च होता है। ऐसे में कंपनियों और अन्य ऐसे सर्विस सेंटरों को मिलाकर लगभग 150 सेंटरों में रोज करीब 7500 गाडिय़ां सर्विस के लिए आती हैैं। 80 लीटर प्रति गाड़ी के हिसाब से 75 सौ गाडिय़ों की धुलाई में रोज लगभग छह लाख लीटर पानी बहाया जाता है। 

घरों में भी गाडिय़ों की धुलाई में बहाया जाता है बेतहाशा पानी

अब बात करते हैैं घरों में चार पहिया और दो पहिया वाहनों की धुलाई की। शहर में गाडिय़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है। काफी लोग ऐसे हैैं जो गाडिय़ों को घर के भीतर या बाहर सड़क, गली में खड़ा कर पाइप लगाकर धोते हैैं। यह ऐसे लोग हैैं जो पाइप पकड़कर घंटों गाड़ी को नहलाने में अपनी शान समझते हैैं। इसमें सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद होता है। 

शोधित पानी का होना चाहिए इस्तेमाल

सीवर का पानी एसटीपी में शोधित होने के बाद खेती के साथ गाडिय़ों की धुलाई में भी इस्तेमाल होना चाहिए लेकिन प्रयागराज में फिलहाल ऐसी व्यवस्था नहीं है। अभी एसटीपी में शोधित होने के बाद पानी को गंगा-यमुना में छोड़ दिया जाता है। उसे खेती और गाडिय़ों की धुलाई में इस्तेमाल के लिए काफी कुछ करना होगा। सबसे पहले शोधित पानी को स्टोर करने की व्यवस्था हो। फिर उसे एसटीपी से खेतों या सर्विस सेंटर पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछानी होगी। ऐसा होने से भूगर्भ जल को बचाया जा सकता है। हालांकि अफसर इस तरह के काम पर विचार ही नहीं करते। 

बोले जलकल विभाग के अधिकारी

जलकल विभाग के एक्सईएन हेडक्वॉटर हरिश्चंद्र वाल्मीकि का कहना है कि गाडिय़ों के सर्विस सेंटरों में अपनी बोङ्क्षरग हैैं। बोरिंग पर किसी तरह की रोक नहीं है न ही अनुमति लेने की जरूरत है। जलकल विभाग से सुबह-शाम पानी की आपूर्ति का समय निर्धारित है। इससे सर्विस सेंटरों का काम नहीं चल सकता है। बोङ्क्षरग कराके पानी का इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों के लिए हो रहा है तो इसके लिए सख्त नियम बनने चाहिए।

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