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गंगा और यमुना की गोद में भी बिकता है पानी

गंगा और यमुना की गोद में बसे प्रयागराज के लोगों को भी पानी खरीदना पड़ता है। गर्मी में समस्या और विकराल हो जाती है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 05:14 PM (IST)
गंगा और यमुना की गोद में भी बिकता है पानी
गंगा और यमुना की गोद में भी बिकता है पानी
प्रयागराज: नगर निगम सीमा क्षेत्र (शहर में) 15 लाख से अधिक आबादी के लिए जलकल विभाग सुबह पांच से नौ और शाम को पांच से रात नौ बजे तक जलापूर्ति करता है। जितनी आबादी है, उसके लिहाज से 220 एमएलडी (मीलियन लीटर प्रतिदिन) जलापूर्ति होना चाहिए पर 252 एमएलडी जलापूर्ति हो रही है। खुसरोबाग से भी 80 एमएलडी जलापूर्ति की सप्लाई होती है। फिर भी सभी लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता। कई इलाकों में लोग पानी खरीद कर पीते हैं।

...फिर भी घरों में नहीं आता पानी
शहर में 257 नग बड़े नलकूपों, 306 नग छोटे नलकूपों, 70 नग नलकूपों पर फायर हाइड्रेंट के जरिए भी जलापूर्ति होती है। इसके अलावा 46 ओवर हैड टैंक भी भरे जाते हैं, फिर भी यह शिकायत आम है कि घरों में पानी नहीं आता है। लो प्रेशर से रोजमर्रा की जरूरत पूरी नहीं होती। पाइप लाइन भी बहुत पुरानी हो चुकी है। छह घटे भी कायदे से पानी की सप्लाई नहीं होती। कहीं पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होती है तो मरम्मत में कई कई दिन लग जाते हैं। तब तक दुश्वारी बनी रहती है।

आज तक नहीं बन सकी दूसरी जल शोधन इकाई
शहर में जलापूर्ति के लिए दो साधन मुख्य रूप से हैं। यह हैं छोटे बड़े नलकूप और खुसरोबाग स्थित जलशोधन इकाई । जलशोधन इकाई सीधे यमुना नदी से पानी लेता है। इसे शोधित कर यह 80 एमएलडी जलापूर्ति शहर में करता है। प्रदेश के पुराने शहरों में जल शोधन की दो से तीन इकाइयां हैं जबकि प्रयागराज में अब तक एक से ही काम चलाया जा रहा है। इस वजह से भूमिगत जलाशयों का अधिक दोहन हो रहा है।

अमेरिकी टीम भी जता चुकी है चिंता
चार साल पहले अमेरिका की एक टीम प्रयागराज आई थी। शहर की वाटर सप्लाई व्यवस्था उसके लिए अचरज भरी थी। दो नदियों के बावजूद यहा पर भूमिगत जलाशयों से जलापूर्ति पर टीम के सदस्यों ने चिंता जताई थी। कहा था कि भूमिगत जलाशयों का दोहन कम नहीं किया गया तो लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना होगा।
हालात कुछ कुछ वैसे ही बन रहे हैं।

गांवों में 86 परियोजनाएं फिर भी हाहाकर
ग्रामीण क्षेत्र में जलसंकट न हो, इसके लिए 86 पेयजल परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। फिर भी गंगापार और यमुनापार में पानी के लिए हाहाकार मचता है। यमुनापार की बात करें तो शंकरगढ़, बारा, मेजा, मांडा, कोरांव और कौंधियारा क्षेत्र में हैंडपंप जवाब दे देते हैं। कुएं में पानी नहीं रह जाता। ग्रामीण एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते हैं। कोरांव इलाके में तो टैंकरों से जलापूर्ति करनी पड़ती है। जिला प्रशासन ने अभी से टैंकरों से जलापूर्ति करनी शुरू कर दी है। मई और जून माह में जल संकट और बढ़ जाएगा। गंगा, यमुना, टोंस और बेलन नदियों के किनारे स्थिति कछारी गांव में भी गर्मी के दिनों में लोगों को पेयजल का संकट का सामना करना पड़ता है।

यमुनापार में कई पेयजल परियोजनाएं खराब पड़ी हैं
गंगा किनारे स्थित डीहा पेयजल योजना वर्षो से खराब पड़ी है। कोराव के बैदवार गाव के विभिन्न टोलों में रहने वाले दो किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं। कूदर,जमुहरा नयी बस्ती,मढफा कला ,पालबस्ती पुरा रुचियी, रामपुर कला, रामपुर पहाड़ी के लोग भी पानी के लिए हलकान रहते हैं। विकास खण्ड के 29गावो में पेयजल संकट अभी से गहरा गया है।

महापौर ने कहा
महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कहना है कि शहरवासियों को 24 घटे पानी मिल सके, इसके लिए स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत जोन-2 और 3 के कई मोहल्लों में नई पाइप लाइन डाली जाएगी। धीरे-धीरे इसका विस्तार होगा। जलकल विभाग द्वारा माग से अधिक जलापूर्ति की जाती है। फिर भी कुछ इलाकों में गर्मी में जलापूर्ति नहीं हो पाती। ऐसे में वाटर टैंक की सुविधा दी जाती है।

बोले, जलकल विभाग के महाप्रबंधक
जलकल विभाग के महाप्रबंधक राधेश्याम सक्सेना का कहना है कि शहर की आबादी के लिहाज से यहा 220 एमएलडी जलापूर्ति होनी चाहिए, लेकिन 252 एमएलडी की जलापूर्ति होती है। शहर के लोग पानी की बर्बादी अधिक करते हैं। लोग पानी का समुचित इस्तेमाल करें तो इसकी कोई कमी नहीं है। पानी शोधन की एक और इकाई लग जाए तो भूमिगत जलाशयों पर निर्भरता कम हो जाएगी।

आंकड़े एक नजर में
शहरी क्षेत्र
-220 एमएलडी पेयजल की कुल मांग 
-360 एमएलडी उत्पादित जलापूर्ति की कुल मात्रा 
-80 एमएलडी पानी लेते हैं यमुना नदी से
-280 एमएलडी पानी मिलता है नलकूपों से
-30 प्रतिशत यानि 108 एमएलडी पानी कुल जलापूर्ति का होता है बर्बाद
- 252 एमएलडी पानी की शहर में होती है वास्तविक सप्लाई
-257 नग बड़े नलकूपों की संख्या
- 306 नग छोटे नलकूपों की संख्या
- 70 नग नलकूपों पर फायर हाइड्रेंट
- 2664 हैंडपंपों की संख्या
 44 टैंकर हैं जलकल विभाग के पास
-1,74,369 कनेक्शन दिए गए हैं जलापूर्ति के लिए

ग्रामीण क्षेत्र
-455 एमएलडी पेयजल की कुल मांग
-124 एमएलडी उत्पादित जलापूर्ति
-202 नग छोटे-बड़े नलकूपों की संख्या
- 89690 हैंडपंप लगाए गए हैं फूलपुर-इलाहाबाद व भदोही संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले दो विधानसभा क्षेत्र में।

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