जोजो, जूली व सांभा है इनके दोस्त
जासं, इलाहाबाद : यह एक ऐसा मोहल्ला है जिसमे जानवरो की पहचान उनके नाम से होती है।
By Edited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jan 2018 09:09 AM (IST)
जासं, इलाहाबाद : <ढ्डह्म> यह एक ऐसा मोहल्ला है जिसमे जानवरो की पहचान उनके नाम से होती है। जोजो, जूली, सांभा, जूनी आदि यह नाम जानवरो के है। मोहल्ले की वंशिका गुप्ता को जानवरो से इतना लगाव है कि उन्होने अपने मोहल्ले के हर आवारा पशुओ का नामकरण कर दिया और उनका उपचार भी अपने घर मे करती है। यह जानवर ही इनके दोस्त है।<ढ्डह्म> वैसे तो हर कोई अपने उम्र व सहपाठी को अपना दोस्त बनाना चाहता है। दोस्तो के साथ घूमना टहलना व पढ़ाई करना हर कोई चाहता है लेकिन म्योर रोड की रहने वाली वंशिका इन सबसे अलग है। इन्हे जानवरो से सबसे अधिक प्यार है। बीए की पढ़ाई करने वाली वंशिका को किसी जानवर के जख्मी होने की सूचना मिलती है तो वह फौरन उसे अपने घर उठा ले जाती है और उपचार शुरू कर देती हैं। इनके घर मे हमेशा चार-पांच कुलाो का उपचार चलता रहता है। इन्होने अपने मोहल्ले के सभी जानवरो का नाम बादल, पोनी, डब्ल्यू, शीला, कमला काली, सफेदा, मम्मो, नट्टू, भोंदू, कल्लू, मोटू, हीरा, मिनी आदि रखी। यह सुबह उठती है तो सबसे पहले इन जानवरो का नाम लेकर पुकारती हैं। इनकी आवाज सुनकर गाय, कुलो, सुअर आदि जानवर इनके पास आ जाते है। यह सभी को रोटी आदि खिलाती है। इनके पिता डा. राजेद्र केसरवानी व कल्पना गुप्ता भी इस कार्य के लिए सहयोग करती हैं। इसके अलावा वंशिका अपने घर पर प्रतिदिन एक घंटे मोहल्ले व आसपास के बच्चो को निश्शुल्क शिक्षा भी देती है। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> 'मेरा कुलाा रोवर कई माह से खो गया था। फेसबुक के जरिए पता चला कि वह वंशिका के पास है। जब हम उनके घर पहुंचे तो वंशिका कुलो का उपचार कर रही थी। छह माह बाद हमे जब वह देखा तो वह मुझसे लिपट गया। वंशिका के इस कार्य से हमारा कुलाा हमे वापस मिला। '<ढ्डह्म> अरूण सांडिल्य, बालसन<ढ्डह्म> <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> 'मेरा कुलाा वंशिका के घर हमेशा पहुंच जाता है। उसे कोई भी परेशानी महसूस होती है तो वह सीधे उसके घर पहुंच जाती है। वंशिका उसकी भाषा को समझकर उसका उपचार भी करती हैं। '<ढ्डह्म> अतुल, म्योर रोड
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