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UPSC 2020 Result: प्रयागराज की अपूर्वा त्रिपाठी बनीं कलक्टर, 68वीं रैंक पर काबिज

UPSC 2020 Result 2019 में अपूर्वा त्रिपाठी का चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ था। फिर 2020 में वह एआरटीओ पद पर चयनित हुईं। हालांकि अभी तैनाती नहीं मिली है। शुक्रवार को यूपीएससी के जारी अंतिम परिणाम में उन्हें 68वीं रैंक मिली है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 07:59 AM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 07:59 AM (IST)
UPSC 2020 Result: प्रयागराज की अपूर्वा त्रिपाठी बनीं कलक्टर, 68वीं रैंक पर काबिज
प्रयागराज की अपूर्वा को यूपीएससी की 2020 परीक्षा में 68वीं रैंक मिली है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2020 परीक्षा के अंतिम नतीजे जारी कर दिए। इसमें प्रयागराज की बेटी अपूर्वा त्रिपाठी ने 68वीं रैंक हासिल की है। उनका चयन कलक्टर पद के लिए हुआ है। देर रात तक मिली जानकारी के मुताबिक प्रयागराज से इकलौती अपूर्वा ने ही सफलता हासिल की। उन्‍होंने जनपद का मान बढ़ाया है। उन्‍हें इस सफलता पर बधाई दी जा रही है। 

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2019 में अपूर्वा का चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ था

शहर के राजापुर की रहने वाली अपूर्वा त्रिपाठी ने वाईएमसीए से वर्ष 2011 में हाईस्कूल और 2013 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने कानपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से 2018 में इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग से बीटेक की उपाधि हासिल की। इसके बाद वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुट गईं। इस बीच उन्होंने पीसीएस की भी परीक्षा दी। 2019 में उनका चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ था। फिर 2020 में वह एआरटीओ पद पर चयनित हुईं। हालांकि, अभी तैनाती नहीं मिली है। शुक्रवार को यूपीएससी के जारी अंतिम परिणाम में उन्हें 68वीं रैंक मिली है।

अपूर्वा की पिता सहायक अभियंता व मां गृहणी हैं

अपूर्वा ने बताया कि उनके पिता दिनेश कुमार त्रिपाठी प्रयागराज में ही सिंचाई विभाग में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। जबकि, मां सीमा त्रिपाठी गृहिणी हैं। अपूर्वा ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और दोस्त अरजीत के अलावा लखनऊ-गोरखपुर के इनकम टैक्स कमिश्नर वीरेंद्र ओझा को दिया है। उन्होंने बताया कि वीरेंद्र ओझा के निर्देशन में इंटरव्यू की तैयारी की। करछना के सिमरहा थरी गांव निवासी वीरेंद्र ओझा 1993 बैच के आइआरएस हैं। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार फेसबुक पेज पर प्रतियोगी परीक्षाओं की निश्शुल्क तैयारी कराते हैं। अपूर्वा ने बताया कि वह परीक्षा करीब आने पर केवल पढ़ाई पर फोकस करतीं थीं। मनोरंजन के लिए इंटरनेट मीडिया का भी थोड़ा सहारा लेती थीं।

खाली रही इलाहाबाद विश्वविद्यालय की झोली

कभी आइएएस-पीसीएस की फैक्ट्री कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की झोली खाली रही। यहां से पढ़े एक भी छात्रों के चयन की सूचना देर रात नहीं मिली। सिविल सर्विसेज में प्रयागराज की दमदार उपस्थिति 2009 से कमजोर होने लगी। यह सूखा सात साल बाद उस वक्त खत्म हुआ, जब 2016 में एमएनएनआइटी की सौम्या पांडेय को चौथी और अभिलाष मिश्र को पांचवीं रैंक मिली। 2017 में एक बार फिर प्रयागराज की धमक देखने को मिली। इस वर्ष हंडिया के अनुभव सिंह ने नौवीं रैंक हासिल की। इसी साल हंडिया के नायब तहसीलदार अरविंद प्रताप सिंह, पीसीबी हास्टल के जितेंद्र प्रताप सिंह, कौड़िहार स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका शिरत फातिमा का भी चयन हुआ। 2018 में ट्रिपलआइटी के विधु शेखर राय को सफलता मिली थी। 2019 में फिर सूखा छा गया। हालांकि, 2020 में अपूर्वा ने सफलता के झंडे गाड़कर शहर की लाज बचा ली।


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