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UPPSC PCS Exam 2017 : अंतिम परिणाम के तीन माह बाद मार्कशीट पर विवाद, जानिये पूरा मामला...

UPPSC PCS Exam 2017 यूपीपीएसी की ओर से जारी अभ्यर्थियों की मार्कशीट पर सिर्फ स्केल्ड नंबर दर्ज है जबकि नॉन स्केल्ड (वास्तविक) नंबर दर्ज नहीं किया गया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 10:43 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 02:23 PM (IST)
UPPSC PCS Exam 2017 : अंतिम परिणाम के तीन माह बाद मार्कशीट पर विवाद, जानिये पूरा मामला...
UPPSC PCS Exam 2017 : अंतिम परिणाम के तीन माह बाद मार्कशीट पर विवाद, जानिये पूरा मामला...

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) की ओर से मंगलवार को जारी पीसीएस 2017 के अभ्यर्थियों की मार्कशीट पर सिर्फ स्केल्ड नंबर दर्ज है, जबकि नॉन स्केल्ड (वास्तविक) नंबर दर्ज नहीं किया गया। अचानक हुए इस बदलाव से अभ्यर्थी अचंभित हैं, क्योंकि 2002 से 2016 तक पीसीएस की मार्कशीट में स्केल्ड के साथ नॉन स्केल्ड नंबर भी दर्ज रहता था। वैसे आयोग की विज्ञप्ति में अभ्यर्थियों का स्केल्ड व नॉन स्केल्ड प्राप्तांक जारी होने की बात कही गई थी, लेकिन एक दिन बाद उसमें सुधार करते हुए सिर्फ स्केल्ड नंबर जारी करने की बात बताई गई है।

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यूपीपीएससी की ओर से पीसीएस 2017 के तहत 27 प्रकार के 676 पदों के लिए परीक्षा कराई गई थी। मुख्य परीक्षा में सफल 2029 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए चुना गया। अभ्यर्थियों का इंटरव्यू 16 सितंबर से एक अक्टूबर 2019 तक चला। अंतिम रिजल्ट 10 अक्टूबर 2019 को घोषित किया गया। आयोग सचिव जगदीश का कहना है कि पीसीएस की फाइनल मेरिट स्केल्ड व मॉडरेटेड मार्क को मिलाकर तैयार की जाती है। इसमें अलग-अलग ब्योरा नहीं दिया जाता। यही कारण है कि सिर्फ एक ही अंक दिखाया जा रहा है, उसमें किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए।

चार फरवरी तक रहेगा ब्योरा

आयोग के परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार मिश्र ने बताया कि अंतिम चयनित अभ्यर्थियों का पदवार, श्रेणीवार कटऑफ अंक आयोग की वेबसाइट पर चार फरवरी तक रहेगा। अभ्यर्थी अपने अनुक्रमांक व जन्म तारीख के आधार पर प्राप्तांक प्राप्त कर सकते हैं। प्राप्तांकों व पदवार, श्रेणीवार कटऑफ अंकों की सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत कोई प्रार्थनापत्र प्रेषित न किये जाएं।

क्यों जरूरी है दोनों नंबर

पीसीएस की परीक्षा में किसी विषय विशेष के अभ्यर्थी ज्यादा सफल न हों उसके लिए आयोग में स्केलिंग की प्रक्रिया है। उसी को स्केल्ड नंबर कहते हैं। इसके जरिये विषय व शिक्षकों में साम्यता बनाई जाती है। प्रतियोगी छात्र अवनीश पांडेय का कहना है कि स्केल्ड नंबर के आधार पर मेरिट बनती है। लेकिन, नान स्केल्ड नंबर का पता न चलने पर अभ्यर्थी को अपनी कमियां व अच्छाइयों का पता नहीं चल पाता। साथ ही आयोग की स्केलिंग प्रक्रिया को लेकर सीबीआइ जांच भी चल रही है। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह अंकपत्र में महिलाओं का कटऑफ जारी न करने, जीएस के प्रश्नपत्र में मॉडरेशन करने पर नाराजगी व्यक्त की।


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