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पीसीएस 2017 प्री. के परिणाम पर यूपी लोक सेवा आयोग ऊहापोह में

हाईकोर्ट ने पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा में एक प्रश्न को रद करने और दो उत्तरों में बदलाव करते हुए परिणाम फिर से जारी करने का निर्देश उप्र लोक सेवा आयोग को दिया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 03:01 PM (IST)Updated: Sat, 07 Apr 2018 03:01 PM (IST)
पीसीएस 2017 प्री. के परिणाम पर यूपी लोक सेवा आयोग ऊहापोह में
पीसीएस 2017 प्री. के परिणाम पर यूपी लोक सेवा आयोग ऊहापोह में

इलाहाबाद (जेएनएन)। प्रश्नों में विवाद के चलते पीसीएस 2016 परीक्षा अभी तक अधर में है। इसके अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा का मूल्यांकन पूरा होने के इंतजार में महीनों से हैं। वहीं उप्र लोक सेवा आयोग से हुई पीसीएस 2017 परीक्षा भी इसी रास्ते पर चल पड़ी है। प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में बदलाव के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुए निर्देश के बाद आयोग इस ऊहापोह में है कि अगला कदम कौन सा उठाया जाए। सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने पर या फिर हाईकोर्ट के निर्देश का ही पालन करने में परीक्षा की पूरी प्रक्रिया लंबा खिंचने के आसार हैं।

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पिछले दिनों हाईकोर्ट ने पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा में एक प्रश्न को रद करने और दो उत्तरों में बदलाव करते हुए परिणाम फिर से जारी करने का निर्देश उप्र लोक सेवा आयोग को दिया है। इसके बाद से आयोग इस पर कोई निर्णय अभी तक नहीं ले सका है। हालांकि समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी 2017 की रविवार को होने वाली परीक्षा के बाद ही आयोग की बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श होना है। इससे पहले भी आयोग में पीसीएस 2016 परीक्षा में प्रश्नों को लेकर उठे विवाद के बाद मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सर्वोच्च न्यायालय तक जा चुका है।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस परीक्षा के अंतिम परिणाम को निर्णय के अधीन रखते हुए मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की अनुमति पिछले साल ही दी थी। आयोग पीसीएस 2016 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी अब तक पूरी तरह से नहीं करा सका है। ऐसे में दोनों ही सत्रों की भर्तियां ठप हो गई हैं।

पीसीएस 2017 के परिणाम में बदलाव के साथ ही मुख्य परीक्षा के आवेदन भरने से वंचित हुए अभ्यर्थियों का मामला भी हाईकोर्ट पहुंच जाने से आयोग के सामने सांसत आ गई है। आयोग के अधिकारियों की मानें तो बैठक में इस पर भी निर्णय हो सकता है जिससे कि मुख्य परीक्षा में आगे और व्यवधान से बचा जा सके। फिलहाल यह हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर होगा कि वंचित अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल किया जाएगा या नहीं। 


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