UP Chunav 2022: हवा में तैर रहे मुद्दों को टटोल रहे युवा, राष्ट्रवाद के साथ चाहिए विकास भी
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सामने शोभनाथ पार्क में जुटी युवा पीढ़ी ने बेरोजगारी और शिक्षा को मुख्य मुद्दा बताया। उनके लिए जाति और धर्म की राजनीति मायने नहीं रखती है। इसमें मसूद अंसारी ने कहा कि लोगों का सामाजिक और आर्थिक स्तर उठना चाहिए
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सियासी दल अपने-अपने मुद्दों को लेकर पक्ष और विपक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। मतदाता हवा में तैर रहे तमाम मुद्दों को टटोल रहे हैं। वह कितना जमीन पर उतरे और आगे उनकी क्या संभावनाएं हैं। इनका भी परीक्षण हो रहा है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण ने चुनाव चौपाल लगाया। इसमें युवा मतदाताओं के मन की थाह ली गई। वह क्या सोच रहे हैं? आगे की किन चीजों को लेकर बढ़ना चाहते हैं? अतीत से उन्हें क्या सीख मिली? इस पर भी खुलकर राय रखी।
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सामने शोभनाथ पार्क में जुटी युवा पीढ़ी ने बेरोजगारी और शिक्षा को मुख्य मुद्दा बताया। उनके लिए जाति और धर्म की राजनीति मायने नहीं रखती है। लोगों का सामाजिक और आर्थिक स्तर उठे इसको अहमियत देते हुए मसूद अंसारी ने कहा रोजगार के क्षेत्र में कोई खास इबारत नहीं लिखी गई। यह उन्हें आहत करता है। मानते हैं कि हाईवे बने और कुछ संस्थान भी स्थापित हुए पर युवा हाथ को काम की दरकार है।
बढ़ाना चाहिए सोच का दायरा
हरिओम त्रिपाठी के लिए राष्ट्रवाद मायने रखता है। कहते हैं कि निजी चीजों से ऊपर उठना होगा। सोच का दायरा बढ़ाना होगा। छोटे-छोटे लाभ और मुफ्त की आदतों काे छोड़कर राष्ट्र पर सब कुछ न्योछावर करना होगा। इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाला दल जो होगा। उसके साथ वह खड़े रहेंगे।
वर्ग और जाति में बंटा समाज नहीं चाहिए
हरेंद्र यादव को भी लगता है कि वर्ग और जाति में बंटा समाज नहीं चाहिए। मजबूत, शिक्षित और स्वस्थ राष्ट्र चाहिए। इंजीनियर संदीप विश्वकर्मा और मुकेश यादव प्रवक्ता को भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहिए। अजय यादव सम्राट और नवनीत यादव कहते हैं युवाओं के लिए रोजगार ही सबसे बड़ा मुद्दा है। वह आहत होकर कहते हैं कि अफसोस इस बात का है कि सत्ता में काबिज होने के बाद सरकारें भूल जाती हैं।
राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा नहीं मिले
जिया कोनैन रिजवी और अभिषेक यादव कहते हैं राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा नहीं मिले। ऐसी सरकार ही प्राथमिकता में शामिल है। नीरज प्रताप सिंह को धर्म पर राजनीति कत्तई पसंद नहीं है। वह कहते हैं जो धारण करने योग्य हो वही धर्म है। इसके मायने भी वह समझाते हैं। कहते हैं यदि कसाई पूछे कि गाय किधर गई तो सही रास्ता बताना हमारा धर्म नहीं है। उसे गलत राह बताना ही हमारा धर्म है। धर्म यानी हिंदू और मुस्लिम नहीं है। खुद गोस्वामी तुलसीदासने लिखा है परहित सरिस धरम नहीं भाई...।