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यहां देखिए धुंधले अतीत और स्वर्णिम वर्तमान का है अनूठा संगम

सुशिक्षित समाज का बीड़ा उठाने वाले शिक्षक रामचंद्र के पास देश्‍ा में घटित चर्चित घटनाओं का अनूठा संग्रह है। उनके इस संग्रहालय का लाभ नई पीढ़ी लेकर अपने हुनर को बढ़ा रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 10:52 AM (IST)
यहां देखिए धुंधले अतीत और स्वर्णिम वर्तमान का है अनूठा संगम

प्रयागराज : क्या आपको याद है कि 1984 के दंगों में क्या हुआ था? केदारनाथ में तबाही किस कदर हुई थी? कादर खान का निधन कब हुआ था? राजीव गांधी की हत्या का मुकदमा किस पर दर्ज हुआ था? वैसे इन सवालों के जवाब देने को दिमाग पर जोर देना पड़ेगा पर प्रतापगढ़ स्थित रामचंद्र भारती के संग्रहालय में इन सब सवालों का जवाब मिल जाएगा। वह नई पीढ़ी को इसके जरिए अपने देश की स्वर्णिम गाथा सुनाते हैं और उससे जुडऩे की प्रेरणा भी देते हैं।

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सीएम तक रहे अजीत के कायल रहे हैं

शहर के भैरोपुर अजीत नगर के रामचंद्र भारती शिक्षक रहे हैं। उनकी समयबद्धता, सृजनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा के कायल डीएम से सीएम तक रहे। शासन ने उनको राज्य अध्यापक पुरस्कार भी दिया है। वह जब 1970 में सरकारी सेवा में आए तो उसके पहले से ही देश-विदेश व जिले की प्रमुख घटनाएं, धाॢमक व सामाजिक आयोजनों की पेपर कङ्क्षटग संग्रह करते रहे। उनके एलबम में केदारनाथ में आई प्रलय को देखा जा सकता है और इंदिरा गांधी की हत्या से देश में हुए दंगे कितने भयावह थे, जान सकते हैं।

उनके संग्रह में अन्‍य विशेष पहलू भी

प्रतापगढ़ के कृपालु जी महाराज के निधन, चर्चित व्यापारी महादेव हत्याकांड, कुंडा के सीओ हत्याकांड से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के निधन व 2019 के दिव्य कुंभ तक की सारी जानकारी का संग्रह है। बेल्हा का भरत मिलाप, बिहार की बाढ़, 2013 में प्रयागराज में लगे कुंभ और स्टेशन पर मची भगदड़, राजीव गांधी की हत्या से लेकर ज्ञानी जैल ङ्क्षसह तक के बारे में उनका संग्रह बताता है। 1970 में प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में नगर पंचायत सिटी में वह आए। एक साल बाद पुराना माल गोदाम रोड स्कूल में आ गए। यहां 1984 में हेडमास्टर बनकर दहिलामऊ व 1995 में पांडेय का पुरवा में हेडमास्टर बने।

उनके संग्रह का लाभ नई पीढ़ी ले रही है

उनके इस हुनर का लाभ नई पीढ़ी ले रही है। जीआइसी के छात्र राहुल वर्मा, एमडीपीजी के वेद प्रकाश, लालगंज के रवि शंकर, सदर के अवधेश कुमार, अवनीश मिश्र जैसे विद्यार्थी उनके संग्रहालय से महत्वपूर्ण जानकारी लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो चुके हैं।

कहते हैं, डिजिटल दौर में विरासत को बचाना चुनौती

रामचंद्र भारती का कहना है कि डिजिटल दौर में विरासत को बचाने की कड़ी चुनौती वह महसूस करते हैं, लेकिन उसे स्वीकार करने का आनंद ही कुछ अलग है। वह चाहते हैं कि आजकल के बच्चे इस तरह के संग्रह की आदत डालें।


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