वाणिज्य कर विभाग की नोटिस व्यापारियों के लिए बनी मुसीबत
कर निर्धारण के मामलों में बिना कारण स्पष्ट किए वाणिज्य कर विभाग के अफसर व्यापारियों को नोटिस भेज रहे हैं। ऐसा आरोप व्यापारियों ने लगाया है।
प्रयागराज : वाणिज्य कर विभाग की ओर से भेजी जा रही नोटिस व्यापारियों के लिए इन दिनों मुसीबत बन गई है। कर निर्धारण के बजाए नोटिस मिलने से परेशान व्यापारी विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें अधिवक्ताओं के पास जाना पड़ रहा है। इसमें उनको अनावश्यक रकम भी खर्च करनी पड़ रही है। व्यापारियों का कहना है कि कमिश्नर ने बेवजह नोटिस न भेजने का आदेश दिया है। एक्ट में भी बिना कारण नोटिस न भेजने का प्रावधान है लेकिन अफसर उत्पीडऩ करने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं।
वैट के तहत वार्षिक रिटर्न में कर निर्धारण हो रहा है
वाणिज्य कर विभाग में वर्तमान में वैट के तहत वित्त वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 के वार्षिक रिटर्न के मामलों में कर निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच नौ हजार से अधिक व्यापारियों को नोटिस भेज दिया गया है। व्यापारियों का आरोप है कि कर निर्धारण करने के बजाए रिटर्न फॉर्म 52 एवं 24 में बेवजह की कमियां निकालकर अधिकारी नोटिस भेज रहे हैं।
व्यापारी नेता संतोष पनामा ने विरोध जताया
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा का कहना है कि कमिश्नर ने पूर्व में ही आदेश जारी किया है कि बिना कारण स्पष्ट हुए नोटिस न भेजा जाए। एक्ट में इसी तरह का प्रावधान है लेकिन अफसरों पर इसका कोई असर नहीं है। उनका कहना है कि 45(13)(ए) के नोटिस में लिखा है कि खरीद और बिक्री में अंतर है। अंतर किस तरह का है, नोटिस में इसका जिक्र नहीं है। बेवजह भेजी जा रही नोटिसों के मामले में एडीशनल कमिश्नर को कई बार ज्ञापन भी दिया जा चुका है लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
नोटिस के नाम पर व्यापारियों का हो रहा उत्पीडऩ : केके अग्रवाल
सीमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्र्रवाल का कहना है कि नोटिस के नाम पर व्यापारियों का उत्पीडऩ किया जा रहा है। नोटिस मिलने के बाद व्यापारियों को अफसरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और अधिवक्ताओं के माध्यम से जवाब देना पड़ रहा है। एडीशनल कमिश्नर ग्र्रेड वन एके राय का कहना है कि कर निर्धारण के मामलों में नोटिस भेजे जाने की शिकायत मिली है। इसके लिए अफसरों की बैठक बुलाई गई है। इसके साथ उन्हें यह निर्देश भी दिया गया है कि कर निर्धारण की कार्रवाई नियमानुसार की जाए। किसी व्यापारी को बेवजह नोटिस न भेजा जाए।