सीएचसी में Corona से बच्चों के इलाज का इंतजाम कागजों पर, प्रतापगढ़ में हो रही लापरवाही
शासन का निर्देश है कि सभी सीएचसी में दो-दो बेड का एसएनसीयू बनाया जाए। जो रेफरल सेंटर हैं जैसे पट्टी कुंडा लालगंज में चार-चार बेड बनाने को कहा गया है। यह इंतजाम अब तक नहीं हो पाया है। पट्टी व लालगंज में कोई तैयारी अब तक शुरू नहीं हुई।
प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आहट सुनाई दे रही है। अभिभावक तरह-तरह की आशंका से ग्रस्त हैं। इसके बाद भी जनपद में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी जो होनी चाहिए, वह नहीं दिख रही है। मेडिकल कालेज को छोड़कर सीएचसी में ऐसी व्यवस्था अब तक दुरुस्त नहीं हो पाई है।
दो-दो बेड की स्पेशल व्यवस्था के हैं शासन के निर्देश
शासन का निर्देश है कि सभी सीएचसी में दो-दो बेड का एसएनसीयू बनाया जाए। जो रेफरल सेंटर हैं जैसे पट्टी, कुंडा, लालगंज में चार-चार बेड बनाने को कहा गया है। यह इंतजाम अब तक नहीं हो पाया है। पट्टी व लालगंज में इस तरह की कोई तैयारी अब तक शुरू ही नहीं हुई। रानीगंज में कुछ है। मेडिकल कालेज के महिला चिकित्सालय में 17 बेड का एसएनसीयू है। वहां नवजात बच्चों की भीड़ बढऩे से आसानी से बेड नहीं मिलता।
बाल रोग चिकित्सकों की है डिमांड
जिले में बच्चों की संख्या आठ लाख 85 हजार से अधिक है। इस अनुपात में बच्चों के चिकित्सक भी नहीं हैं। जिले भर में बच्चों के केवल पांच डाक्टर हैं। मेडिकल के प्रिंसिपल डा. आर्य देश दीपक और सीएमओ ने 12 बाल रोग चिकित्सकों की मांग शासन से की है। अगस्त के महीने में तीसरी लहर का खतरा बढऩे की आशंका है। ऐसे में अगर समय से इंतजाम नहीं हुए तो बच्चे मुश्किल में पड़ सकते हैं।
मेडिकल कालेज अस्पताल में पीकू तैयार
राजकीय मेडिकल कालेज के पुरुष अस्पताल में पीकू (पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट) वार्ड बनाया गया है। इसमें 20 बेड की व्यवस्था की गई है। इसमें जरूरी मशीनें, आक्सीजन पाइप लाइन समेत उपकरण लग गए हैं। व्यवस्था तो बन गई है, पर सवाल यह है कि कोरोना के कहर के आगे यह 20 बेड कितनी राहत दे पाएंगे। ऐसे में सीएचसी स्तर पर भी व्यवस्था होनी जरूरी है।
निजी अस्पताल काट रहे कन्नी
कोरोना काल में निजी अस्पताल संचालक बच्चों को भर्ती करने से बचते रहे हैं। बेबी केयर यूनिट को खराब और एक्सपर्ट की कमी जैसे बहाने बनाकर वह इलाज नहीं किए। अब तीसरी लहर को लेकर भी उनकी कोई रुचि नहीं दिख रही है। उनको आशंका है कि बच्चों को भर्ती करने पर कोई अनहोनी होने पर वह झमेले में फंस सकते हैं।