Move to Jagran APP

UP के व्यापारियों को High Court से बड़ी राहत, जीएसटी ट्रान जमा करने व टैक्स क्रेडिट लेने का मिला मौका

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के व्यापारियों को बड़ी राहत दी है। जीएसटी ट्रान जमा करने व टैक्स क्रेडिट लेने का मौका दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने मेसर्स रेटेक फियोन फ्रिक्शन टेक्नोलाजी सहित सैकड़ों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 03:06 PM (IST)
उत्‍तर प्रदेश के व्यापारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के व्यापारियों को बड़ी राहत दी है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जीएसटी ट्रान एक व दो जमा करने में नाकाम रहे सभी पंजीकृत व्यापारियों को आठ सप्ताह के भीतर अपने क्षेत्रीय टैक्स विभाग से संपर्क करने की छूट दी है। हाई कोर्ट की शरण में आए सभी याचियों को जीएसटी ट्रैन एक व दो इलेक्ट्रानिकली जमा करने का कोर्ट ने उचित अवसर देने का निर्देश दिया है।

loksabha election banner

यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने मेसर्स रेटेक फियोन फ्रिक्शन टेक्नोलाजी सहित सैकड़ों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने टैक्स विभाग को जीएसटी कानून की धारा 140 व नियम 117 का अनुपालन कर दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कहा है कि इस रिपोर्ट पर दो हफ्ते में अनापत्ति ली जाए। आपत्ति दाखिल करने का भी सीमित अवसर दिया जाए। यह प्रक्रिया तीन हफ्ते में पूरी कर ली जाए। सभी प्राधिकारी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट जीएसटी नेटवर्क को प्रेषित करें। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी फार्म समय सीमा बीतने के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जाए।

कोर्ट ने कहा कि यह कार्यवाही पूरी होने के बाद जीएसटी नेटवर्क अपलोड करें या सभी याचियों को दो हफ्ते में ट्रैन एक व दो अपलोड करने की अवसर प्रदान करें। कोर्ट ने कहा कि यह कार्यवाही केवल एक बार के लिए ही की जाएगी।

याचिका में उठाए गए अन्य बिदुओं पर विचार नहीं करते हुए कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते टैक्स इनपुट जमा नहीं कर पाने वाले कर दाता पंजीकृत व्यापारियों को विवादों के खात्मे का अवसर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी कानून की शर्तों के अधीन व्यापारियों को टैक्स क्रेडिट लेने का अधिकार है। टैक्स प्राधिकारियों को पंजीकृत कर दाताओं को अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए। इन्हें अपना दावा करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए। जीएसटी पोर्टल राज्य प्राधिकारियों की देन है। उनकी वैधानिक जिम्मेदारी है कि पोर्टल ठीक से काम करे। बाधित, अनियमित पोर्टल के संचालन का खमियाजा टैक्स पेयर को भुगतने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि सीबीआइसी ने पोर्टल पर टेक्निकल खामी को स्वीकार किया है। टाइमलाइन तय की और टाइमलाइन की छूट भी दी, जिससे टैक्स पेयर को परेशानी उठानी पड़ी। यह समझ से परे है। अब अपनी विफलताओं के बावजूद करदाताओं से इसे अपलोड करने के प्रयास के साक्ष्य मांगे जा रहे हैं। इसे उचित नहीं माना जा सकता। यह मनमाना, अतार्किक है। कोर्ट ने कहा कि कानून में साक्ष्य देने का उपबंध भी नहीं है। तीन अप्रैल 2018 को सर्कुलर जारी कर टैक्स इनपुट जमा करने के प्रयास के सबूत मांगना मनमानापन है,लागू होने योग्य नहीं है। टैक्स क्रेडिट की बाधाएं दूर करने की जिम्मेदारी सीबीआईसी की है। व्यापारियों को इलेक्ट्रॉनिकली जीएस टीट्रैन जमाकर आई टी सी पाने का अधिकार है। इस अधिकार से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.