Top Prayagraj News of the day, 19 March 2020 : राहत भरी खबर : इटली से आए छात्र में नहीं मिले Coronavirus के लक्षण, जांच रिपोर्ट निगेटिव
इटली से आए छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए गए हैं।विदेश से लौटे लोगों पुलिस और प्रशासन की पैनी नजर है। संवेदनाओं को शब्दों में ढालना एवं पिरो लेना ही कविता है।
प्रयागराज,जेएनएन। इटली से आए छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए गए हैं। यह जिले के लोगों के लिए काफी राहत देने वाली खबर है। छात्र अब बिल्कुल स्वस्थ है। हालांकि अभी छात्र को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। वहीं, भारत सरकार के निर्देश पर विदेश से लौटे लोग स्वास्थ्य टीम और एलआइयू टीम की निगरानी में हैैं। ऐसे लोग घर से बाहर घूमते हुए मिले तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जबकि, भारतीय समाज ऋग्वैदिक काल से साहित्य संस्कार और कला के लिए अप्रतिम माना गया है जो संस्कार के साथ संवेदना को भी मनुष्य में जीवित करने की बात करता है।
राहत भरी खबर : इटली से आए छात्र में नहीं मिले Coronavirus के लक्षण, जांच रिपोर्ट निगेटिव
प्रयागराज जनपद के लिए राहत भरी खबर है। मंगलवार को कुछ दिन पहले इटली से लौटे जिस छात्र को काेरोना वायरस के संक्रमण की आशंका पर एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार काे उसकी रिपोर्ट केजीएमयू लैब से आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए गए हैं। यह जिले के लोगों के लिए काफी राहत देने वाली खबर है। छात्र अब बिल्कुल स्वस्थ है। हालांकि अभी छात्र को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
Coronavirus Effect : विदेश से लौटे लोगों पर पैनी नजर, घर से बाहर घूमते मिले तो होगी कार्रवाई
हेलो, आप गौरव (परिवर्तित नाम) बोल रहे हैं, 11 मार्च को थाइलैंड से आए हैं न? उधर से जवाब -'हांÓ । तो सुनिए.. मैं डिप्टी सीएमओ डॉ. गणेश प्रसाद बोल रहा हूं। मेरी बात ध्यान से सुनिए... देखिए इस समय कोरोना वायरस के नाम से हर कोई भयभीत है। भारत सरकार के निर्देश पर वह लोग स्वास्थ्य टीम और एलआइयू टीम की निगरानी में हैैं, जो विदेश की यात्रा करके लौटे हैैं। इसमें आप भी शामिल हैं। टीम की पूरी नजर आप पर है। घर से बाहर किसी भी दशा में न निकलें, अन्यथा आपकी फोटो खींच ली जाएगी और उसे एलआइयू व प्रशासन के पास भेज दिया जाएगा। उसके बाद आप कार्रवाई के घेरे में आ जाएंगे।
संवेदनाओं को शब्दों में ढालना एवं पिरो लेना ही कविता
भारतीय समाज ऋग्वैदिक काल से साहित्य संस्कार और कला के लिए अप्रतिम माना गया है जो संस्कार के साथ संवेदना को भी मनुष्य में जीवित करने की बात करता है। संवेदनाओं को शब्दों में ढालना एवं पिरो लेना ही कविता है। कविता केवल कविता ही नहीं होती बल्कि यह मानवीय मंत्र है जिससे मानव सही मायने में इंसान बनने की तरफ अग्रसर होता है। यही कविता का प्रधान कर्म भी है। रचनाकार हमेशा मानवता के पक्ष में ही कविता लिखता है।