Move to Jagran APP

Kumbh mela 2019 : इटली की बाला ने अब गले में पहन लिया कंठी माला

कुंभ मेला 2019 में संन्‍यास ग्रहण करने वालों में विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं। भारतीय सनातन धर्म से प्रभावित होकर इटली की रम्या गिरि ने जूना अखाड़ा से संन्‍यासी बन गईं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 02:25 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 02:25 PM (IST)
Kumbh mela 2019 : इटली की बाला ने अब गले में पहन लिया कंठी माला
रवि उपाध्याय, कुंभनगर : इटली की पीएचडी धारक बाला ने सनातन धर्म से प्रभावित होकर भगवा चोला पहन लिया। अपना पुराना नाम छोड़कर रम्या गिरि बन गईं। गंगा तट पर मुंडन कराया। पिंडदान किया। 108 बार डुबकी लगाई और विधिवत संन्यासी बन गईं। संन्यासी बनने के बाद उन्होंने नेपाल का रास्ता पकड़ लिया है।

सनातन धर्म से विदेशी प्रभावित
भारतीय सनातन धर्म से विदेशी बहुत प्रभावित हैं। विभिन्न अखाड़ों से इस बार काफी संख्या में नागा संन्यासी बने हैं। इनमें कुछ विदेशी भी हैं। जूना अखाड़ा ने दो सौ महिलाओं को संन्यासी की दीक्षा दी है। महिला संन्यासी बनने वालों में हर वर्ग की हैं। सामान्य से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। इनमें से एक संन्यासी की दीक्षा पाने वाली साध्वी इटली वेनिस की निवासी हैं। 16 वर्ष की उम्र में वह एक बार भारत आईं तो काशी पहुंची। काशी नगरी के धर्म आध्यात्म से इतना प्रभावित हुईं कि काफी दिन यहीं रमी रहीं। काशी विश्वनाथ बाबा का कई बार दर्शन किया।

महंत लक्ष्मी गिरि के संपर्क में आईं
इस बीच वह श्री महंत लक्ष्मी गिरि के संपर्क में आ गईं। उनके सानिध्य में भारतीय संस्कृति को समझा। फिर वापस इटली लौट गयीं। लेकिन लगातार यहां आती जाती रहीं। जूना अखाड़े के श्रीमहंत विजय गिरि, श्रीमहंत मीरा गिरि एवं श्रीमहंत लक्ष्मी नंद सरस्वती के संपर्क करती रहीं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर मनोविज्ञान से पीएचडी की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने संस्कृत और ज्योतिष का भी अध्ययन किया। जूना अखाड़ा की माई बाड़ा की पूर्व प्रभारी महंत दिव्या गिरि बताती हैं कि रम्या गिरि ने अखाड़े की व्यवस्था को पूरी तरह समझा है। इस बार उन्होंने गंगा तट पर बैठकर संन्यास की दीक्षा ली। रात्रि में महिला अखाड़े में विजय हवन किया। फिर जूना के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से गुरु मंत्र लिया। उन्होंने बताया कि गुरु मंत्र मेें उन्हें अपनी पहचान नहीं बताने का निर्देश है। संन्यासी बनने के बाद वे अपनी महिला गुरु के साथ नेपाल चली गईं।

महिला नागा नहीं बनतीं
जूना अखाड़ा महिला संन्यासियों को नागा नहीं बनाता है। इन्हें एक वस्त्र से शरीर को ढकने की अनिवार्यता है। महंत दिव्या गिरि बताती हैं कि महिला संन्यासी की दीक्षा पुरुषों की भांति ही होती है। बस फर्क हैं कि पुरुष नागा संन्यासी बनते हैं। महिलाओं का संन्यास नाम से संस्कार होता है। सिर का मुंडन होता है। ङ्क्डदान के साथ विजय हवन भी करती हैं। अखाड़े में पुरुष महिला संन्यासी को माई कहकर संबोधित करते हैं।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.