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नहाय-खाय से आज महिलाएं लेंगी डाला छठ व्रत का संकल्प

सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ की औपचारिक शुरुआत सोमवार को होगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 11:20 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 11:20 PM (IST)
नहाय-खाय से आज महिलाएं लेंगी डाला छठ व्रत का संकल्प
नहाय-खाय से आज महिलाएं लेंगी डाला छठ व्रत का संकल्प

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : सुख-समृद्धि की संकल्पना को साकार करने के लिए महिलाएं सूर्योपासना के महापर्व डाला छठ का व्रत रखकर पूजन करेंगी। छठ का मुख्य व्रत 10 नवंबर को है, उसकी अनौपचारिक शुरुआत सोमवार को नहाय खाय से हो जाएगी। कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर व्रती महिलाएं नए वस्त्र धारण करके छठी मइया का ध्यान करके व्रत के सकुशल पूर्ण होने की कामना करेंगी। नए गुड़ से मिश्रित नए चावल से बनी खीर अथवा लौकी की खीर ग्रहण करेंगी। परिवार के अन्य सदस्य भी उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करेंगे। चार दिनों तक उनके घर का कोई व्यक्ति लहसुन, प्याज, मांस मदिरा का कोई सेवन नहीं करेगा। डाला छठ पर महिलाएं बच्चों व परिवार की सुख-समृद्धि, शांति व लंबी आयु के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर पूजन करती हैं। षष्ठी तिथि पर डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद कुछ व्रती महिलाएं घर आकर रातभर जागरण करती हैं, जबकि कुछ श्रद्धालु घाट पर ही जागरण करते हैं। सप्तमी तिथि पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सूप में पकवान, नारियल, केला, मिठाई भरकर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देती हैं। ठेकुआ है खास प्रसाद

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डाला छठ पूजा का सबसे खास प्रसाद ठेकुआ है। इसे गेहूं के आटे में देशी घी और चीनी मिलाकर बनाते हैं। इसी को खाकर व्रत का पारण किया जाता है। माता सीता ने रखा था व्रत

भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे। इसी कारण लंका विजय करके अयोध्या आने पर उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्यदेव की उपासना की थी। माता सीता ने षष्ठी तिथि पर व्रत रखकर सरयू नदी में डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया था। प्रभु श्रीराम ने सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया था। महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार अंगराज कर्ण कुंती व सूर्यदेव के पुत्र थे। कर्ण सूर्य की नियमित उपासना करते थे। षष्ठी व सप्तमी तिथि पर वे विशेष उपासना करते थे। अपने राजा की सूर्यभक्ति से प्रभावित होकर वहां के समस्त नागरिक सूर्य की उपासना करने लगे। वहीं, जब पांडव राजपाठ गंवाकर वन-वन भटक रहे थे। तब द्रोपदी व कुंती ने छठी मइया का व्रत रखकर पूजा किया था। पूजन में यह हैं शुभ

छठी मइया को नींबू, नारंगी, गन्ना, नारियल, सिघाड़ा व ठेकुआ अर्पित किया जाता है। नींबू व नारंगी का रंग पीला होता है। यह रंग शुभ होता है। गन्ना का मंडप बनाकर उसी के अंदर पूजा की जाती है। गन्ना समृद्धि का प्रतीक है, जबकि सिघाड़ा रोगनाशक होता है। इसी प्रकार केला, सुपाड़ी, पान, अमरूद व नारियल भी पवित्र होते हैं।


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