कभी होती थी प्रयागराज में इस कुएं की पूजा, यहां शेड के नीचे श्रद्धालु और राहगीर करते थे आराम
पनीर चौराहा का सार्वजनिक कुआं करीब दो सौ साल पुराना है। यह लोहे की जाल से कवर्ड है और शेड भी बने हैं। कुएं के दोनों कोनों पर आमने-सामने मंदिर भी बना है। वर्ष 1994-95 तक कुएं में पानी था। तब तक मोहल्ले के लोग कुएं से पानी भरते थे।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कर्नलगंज क्षेत्र में सब्जी मंडी चौराहा (पनीर चौराहा) पर निॢमत पक्के कुएं की कभी पूजा होती थी। श्रद्धालु और राहगीर अपनी प्यास बुझाने के साथ थकान भी दूर करते थे। लड्डू खाने के लिए स्थानीय लोगों की भीड़ भी जुटती थी। लेकिन, अब इसे ईंटों से पाट दिया गया है। इससे न लोगों को शीतल जल मिल पाता है और न ही पहले जैसी शीतलता मिलती है। कुएं की सफाई और जीर्णोद्धार के लिए की गई क्षेत्रीय पार्षद की सारी कवायद विफल रही।
करीब दो सौ साल पुराना है पनीर चौराहे का कुआं
पनीर चौराहा का सार्वजनिक कुआं करीब दो सौ साल पुराना है। यह लोहे की जाल से कवर्ड है और शेड भी बने हैं। कुएं के दोनों कोनों पर आमने-सामने मंदिर भी बना है। वर्ष 1994-95 तक कुएं में पानी था। तब तक मोहल्ले के लोग कुएं से पानी भरते थे। शादी-विवाह होने पर कुएं की पूजा होती थी। पूजन होने पर बटने वाले लड्डू को पाने के लिए स्थानीय लोगों की भीड़ लग जाती थी। कुएं पर बाल्टी, पीतल का लोटा और गुड़ भी रखा जाता था। संगम से स्नान करके इधर से लौटने वाले श्रद्धालु अथवा राहगीर गुड़ खाकर पानी पीते थे। शेड बने होने से लोग आराम भी करते थे। लेकिन, रख-रखाव और सफाई न होने से कुआं धीरे-धीरे पटता चला गया।
गर्मी में रहता था बहुत ठंडा
पार्षद आनंद घिल्डियाल का कहना है कि मोहल्ले के लोगों ने चंदा करके छत भी डाली थी। गर्मी के दिनों में बहुत ठंडा रहता था। इससे श्रद्धालु और राहगीर रुककर आराम करते थे। कुएं की सफाई और जीर्णोद्धार के लिए नगर निगम से कई बार प्रयास किया गया लेकिन, कोई सफलता नहीं मिली। अगर कुएं का जीर्णोद्धार करा दिया जाए तो सैकड़ों परिवारों की इससे प्यास बुझ सकती है।