योगी को सौंपी सूचीः सिर्फ चार पीठ को मान्यता और स्वयंभू शंकराचार्यों की छुट्टी
स्वयंभू शंकराचार्यों पर अंकुश लगाने की तैयारी है। शिविर लगाने की अनुमति होगी, बोर्ड भी लगा सकेंगे लेकिन नाम के साथ शंकराचार्य नहीं लिख पाएंगे।
इलाहाबाद (शरद द्विवेदी)। प्रयाग में जनवरी में लग रहे कुंभ पर्व में स्वयंभू शंकराचार्यों पर अंकुश लगाने की तैयारी है। मेले में उन्हें शिविर लगाने की अनुमति होगी, बोर्ड भी लगा सकेंगे, लेकिन स्वयं के नाम के साथ शंकराचार्य नहीं लिख पाएंगे। अगर नाम के आगे शंकराचार्य लिखते हैं तो प्रशासन कार्रवाई करेगा। यह कार्रवाई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दबाव पर की जाएगी। अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चार पीठ के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की सुविधा मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है।
सनातन धर्म की रक्षा व प्रचार-प्रसार को लेकर आदिशंकराचार्य ने द्वारिका, श्रृंगेरी, पुरी एवं ज्योतिष पीठ की स्थापना की। इन पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है। शंकराचार्य सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरु होते हैं, परंतु इधर कुछ वर्षों में बिना पीठ के शंकराचार्य बनने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। अखाड़ा परिषद इसे सनातन धर्म के खिलाफ अनुचित मानता है। कुंभ पर्व में स्वयंभू शंकराचार्यों का महिमा मंडन रोकने के लिए अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर सिर्फ धार्मिक मान्यता के अनुरूप चार पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य का सम्मान, सुविधा व मान्यता देने की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर किया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने बताया कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की है। हम वही स्वरूप आगे भी चाहते हैं। स्वयंभू शंकराचार्य धर्मगुरु हैं, हमें उससे दिक्कत नही है, परंतु वह शंकराचार्य शब्द का प्रयोग न करें, यही सब चाहते हैं। मुख्यमंत्री भी हमारी मांग पर सहमति जता चुके हैं। कुंभ में किसी धर्मगुरु को शंकराचार्य का बोर्ड नहीं लगाने देंगे।
तीन पीठ विवादित
देश में स्वयंभू शंकराचार्यों की संख्या दो दर्जन से अधिक है। इसमें आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिष, द्वारिका व पुरी में लंबे समय से विवाद चल रहा है। इन पीठों में कई धर्मगुरु स्वयं पीठाधीश्वर होने का दावा करते हुए शंकराचार्य बताते हैं।
नागा करेंगे निगरानी
कुंभ पर्व में मेला क्षेत्र की निगरानी के लिए अखाड़ा परिषद पांच सौ नागा संन्यासियों की ड्यूटी लगाएगा। जो श्रीमहंत की निगरानी में काम करेंगे। एक श्रीमहंत के पीछे 50 नागा संन्यासी होंगे, जो अलग-अलग सेंटरों में भ्रमण करेंगे। अगर कहीं बिना पीठ के शंकराचार्य का बोर्ड लगा मिलेगा तो उसे वह स्वयं उतारेंगे। मेला क्षेत्र में अराजकता न फैले उसके लिए भी नागा संन्यासी काम करेंगे।