तब शहर में शुरू हुए थे तीन बड़े प्रोजेक्ट
-----फ्लैश बैक---- -नैनी में एसटीपी, बसवार में कूड़ा निस्तारण प्लांट और करैलाबाग में इंटेक
जासं,इलाहाबाद: दो दशक पहले नगर निगम की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। बजट के अभाव में शहर में विकास कार्य भी नहीं हो पाता था। निगम के लिए कर्मचारियों को नियमित वेतन दे पाना भी मुश्किल हो रहा था। संसाधनों की कमी के चलते शहरियों को पेयजल संकट से भी दो-चार होना पड़ रहा था। ऐसे समय में शासन से तीन बड़े प्रोजेक्ट शहर के लिए स्वीकृत हुए थे। इसमें नैनी में शहर का बना पहला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), करैलाबाग में पुराना इंटेकवेल और बसवार का कूड़ा निस्तारण प्लांट शामिल है। उक्त बातें बेनीगंज के पूर्व पार्षद नटवर लाल भारतीय ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहीं।
वर्ष 1995 से 2000 तक पार्षद रहे नटवर लाल बताते हैं कि उसी दौरान प्रत्येक वार्डो में सामुदायिक केंद्र बने थे। माघ मेला अथवा बड़े त्योहारों के दौरान शासन से बजट मिलने पर ही वार्डो में विकास के कुछ कार्य होते थे। बाकी दिनों में विकास कार्य के लिए अफसरों से तकरार होती रहती थी। उन्होंने अपने वार्ड में जलापूर्ति की समस्या दूर करने के लिए करीब 38 लाख रुपये की लागत से एक बड़ा नलकूप लगवाया था। वह बताते हैं कि सदन से जो भी प्रस्ताव पास होते थे। शासन उस पर स्वीकृति नहीं प्रदान करता था। उस समय डा. रीता बहुगुणा जोशी शहर की महापौर थीं।