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नेपाल की महारानी का बनवाया शिवकुटी का कुआं जर्जर और बदहाल, पांच साल पहले तक लोग इससे पीते थे पानी

वर्ष 1865 में नेपाल की महारानी कौशल्या देवी ने इस कुएं का निर्माण इस उद्देश्य से कराया था कि 125 शिवलिंग वाले शिव कचहरी में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को चढ़ाने के लिए आसानी से जल और पीने के लिए पानी सुलभ हो सके।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 08:00 AM (IST)
नेपाल की महारानी का बनवाया शिवकुटी का कुआं जर्जर और बदहाल, पांच साल पहले तक लोग इससे पीते थे पानी
नगर निगम से जीर्णोद्धार के लिए पार्षद ने की कोशिश पर कुआं जस का तस

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। नेपाल की महारानी ने करीब 156 साल पहले यहां शिवकुटी में शिव कचहरी मार्ग पर नक्काशीदार पक्का कुआं का निर्माण कराया था। इस कुएं से आसपास के सैकड़ों लोगों की प्यास बुझती थी। शिव मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु उससे जल लेकर भगवान को चढ़ाते थे और शीतल जल से अपनी प्यास भी बुझाते थे। लेकिन, कभी वैभव का प्रतीक माने जाने वाला यह कुआं देखरेख न होने से अब जर्जर और बदहाल हो गया है।

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कुएं का जल बहुत मीठा और शीतल था

वर्ष 1865 में नेपाल की महारानी कौशल्या देवी ने इस कुएं का निर्माण इस उद्देश्य से कराया था कि 125 शिवलिंग वाले शिव कचहरी में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को चढ़ाने के लिए आसानी से जल और पीने के लिए पानी सुलभ हो सके। सुरक्षा के लिए कुएं पर लोहे की जाल भी लगवाई गई है। करीब 25-30 साल पहले तक इसी कुएं से पानी से लोगों की हर जरूरतें पूरी होती थीं, क्योंकि तब नलकूप और हैंडपंप आसपास नहीं थे। यही नहीं, पांच-छह साल पहले तक भी लोग कुएं के पानी का उपयोग नलकूप के खराब होने अथवा बिजली गुल हो जाने पर नलकूप के न चलने पर करते थे। मगर, अब इस कुएं पर कब्जे की भी कुछ लोगों की नियत है। कुएं में महारानी के नाम का लगा शिलापट भी उखाड़ ले गए हैं। क्षेत्रीय पार्षद कमलेश तिवारी का कहना है कि कुएं का जल बहुत मीठा और शीतल था। उसमें पानी आज भी है लेकिन, सफाई न होने और जर्जर होने के कारण अब कुएं का पानी कोई नहीं पीता है। नगर निगम प्रशासन से कुएं के जीर्णोद्धार कराने के लिए कई बार आग्रह किया गया लेकिन, कुछ नहीं हो सका। कुआं जस का तस है।


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