स्कूल में छात्राओं को सुनाई गई प्लास्टिक की कहानी
सेंट मेरीज कॉन्वेंट की छात्राओं को इस आशय की जानकारी दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला में दी गई।
प्रयागराज : हम प्लास्टिक के बैग का प्रयोग सुबह से शाम तक बिना सोचे-समझे धड़ल्ले से करते हैं। बिना यह जाने की यह पर्यावरण के लिए कितनी भयावह है। प्लास्टिक हमारे नदी, नालों को तो प्रदूषित कर ही रहा है, साथ ही साथ समुद्र में इसके पांच खरब टुकड़े तैर रहे हैं। यह मिट्टी में सड़ती भी नहीं है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक जहर है।
सेंट मेरीज कॉन्वेंट की छात्राओं को इस आशय की जानकारी दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला में दी गई। स्कूल की प्रार्थना सभा में एक छात्रा ने बेहतर पर्यावरण, बेहतर जीवन शीर्षक कहानी पढ़ी। यह कहानी समीर, कुणाल व कार्तिक की है। तीनों दोस्तों को प्लास्टिक के उपयोग व दुरुपयोग के बारे में स्कूल से एक प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया। तीनों ने जब इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया जो उन्हें पता चला कि प्लास्टिक पर्यावरण को किस कदर खोखला बना रहा है। कहानी में बताया गया कि प्लास्टिक की शुरुआत 1907 में बेल्जियम में हुई। इस कहानी के माध्यम से छात्राओं को प्लास्टिक के प्रयोग से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया और इसका प्रयोग न करने के लिए प्रेरित किया गया। यह भी बताया गया कि छात्रों की अखबारी कागज से थैला बनाने की पहल किस तरह रंग लाई। प्रकृति केसाथ की जा रही छेड़छाड़ से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखने केलिए अब दूर जाने की जरूरत नहीं है। हर तरफ कट रहे जंगल, बढ़ते बंजर इलाके, लुप्त होते जीव जन्तु, दूषित होता पानी, जहरीली होती जा रही हवा इस बात केसाक्षी हैं कि हमने पर्यावरण की देखभाल नहीं की। अब इससे होने वाले नुकसान से हम बच नहीं सकते। समूचे विश्व के सामने यह समस्या एक बड़ी चुनौती है। इसका सामना जागरूकता के द्वारा ही किया जा सकता है।
-एसआर ज्योति सीजे, प्रिंसिपल सेंट मेरीज कॉन्वेंट इंटर कॉलेज।