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एक दशक बाद भी बजट के अभाव में सीवर लाइन प्रोजेक्ट है अधूरा

शहर में होने वाले जलभराव की समस्या से निजात दिलाने की मांग शहरवासी दो दशक से जनप्रतिनिधियों से करते आ रहे थे। वर्ष 2007 में शासन ने शहर के लिए सीवेज निस्तारण योजना स्वीकृत की थी लेकिन बजट जारी करने में दो साल का समय लग गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 03:57 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 03:57 PM (IST)
एक दशक बाद भी बजट के अभाव में सीवर लाइन प्रोजेक्ट है अधूरा
बजट के अभाव में सीवर लाइन चालू नहीं हो सका है।

प्रयागराज,जेएनएन। सरकार कहती है कि विकास कार्य के लिए बजट की कमी नहीं होगी मगर प्रतापगढ़ जिले के हालात तो कुछ और हैं। बजट के अभाव में प्रतापगढ़ शहर में सीवर लाइन बिछाने का प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया। बचा सीवर लाइन बिछाने और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के उपकरण की मरम्मत को 3.54 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। लेकिन बजट के अभाव में सीवर लाइन चालू नहीं हो सका है।

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शहर में होने वाले जलभराव की समस्या से निजात दिलाने की मांग शहरवासी दो दशक से जनप्रतिनिधियों से करते आ रहे थे। वर्ष 2007 में शासन ने शहर के लिए सीवेज निस्तारण योजना स्वीकृत की थी, लेकिन बजट जारी करने में दो साल का समय लग गया। वर्ष 2009 में 18.20 करोड़ रुपये जारी हुआ। इस योजना पर शुरू से ही ग्रहण लग गया था। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नगर पालिका से जमीन मिलने में भी विलंब हुआ। काफी जद्दोजहद के बाद सई नदी के किनारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। दो साल में यानि दिसंबर 2011 में एसटीपी तैयार हो गया। फिर जनवरी 2012 से शहर में सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया था।

शुरू से ही रही अनियमितता

इस योजना में शुरू से ही जमकर अनियमितता बरती गई। यही वजह रही कि 16.42 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सिर्फ 6.70 किमी ही सीवर लाइन बिछ सकी। अभी भी करीब छह किमी पाइप लाइन बिछनी बाकी है। निर्माण के करीब नौ साल बाद भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू न होने के कारण उसके कई उपकरण खराब हो गए। अब बाकी बची सीवर लाइन को बिछाने और खराब उपकरणों की मरम्मत सहित एसटीपी को चलाने के लिए 3.54 करोड़ रुपये की दरकार है। बजट की डिमांड जल निगम ने नगर विकास विभाग से की है। जल निगम के एक्सईएन घनश्याम द्विवेदी ने बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के उपकरणों की मरम्मत के लिए 3.54 करोड़ रुपये की मांग शासन से की गई है।


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