Move to Jagran APP

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 10 वर्ष से पूरी नहीं कर सका प्रधानाचार्य पद पर भर्ती

प्रदेश में 4500 से अधिक एडेड माध्यमिक कालेज में आधे से ज्यादा में स्थाई प्रधानाचार्य नहीं हैैं। रिक्त पदों पर प्रबंध तंत्र अपने चहेते को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाकर अपने ढंग से काम करा रहे हैैं। कई कालेजों में प्रवक्ता के बजाए सहायक अध्यापक (एलटी) प्रधानाचार्य बने बैठे हैैं

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 01:11 PM (IST)
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 10 वर्ष से पूरी नहीं कर सका प्रधानाचार्य पद पर भर्ती
वर्ष 2011 की भर्ती में फंसे छह मंडल, 2013 की आवेदन में सिमटी, उसके बाद से इंतजार

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रदेश में लगभग आधे अशासकीय (एडेड) माध्यमिक विद्यालय कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के भरोसे हैैं। दस वर्षों से प्रधानाचार्य पद पर भर्ती पूरी नहीं हुई है। चयन किए जाने की स्थिति यह है कि वर्ष 2011 की भर्ती में छह मंडल के आवेदक अभी भी प्रतीक्षा में हैैं। 2013 के भर्ती विज्ञापन में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड आवेदन लेकर शांत हो गया। इसके बाद 1453 पदों के लिए नया अधियाचन मिला है, जिस पर निर्णय चयन बोर्ड को लेना है कि कब भर्ती विज्ञापन निकालेगा।

loksabha election banner

चहेते को प्रधानाचार्य बनाकर अपने ढंग से करा रहे काम

प्रदेश में 4500 से अधिक एडेड माध्यमिक कालेज हैैं, जिसमें से आधे से ज्यादा में स्थाई प्रधानाचार्य नहीं हैैं। रिक्त पदों पर प्रबंध तंत्र अपने चहेते को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाकर अपने ढंग से काम करा रहे हैैं। ऐसी स्थिति में कई कालेजों में प्रवक्ता के बजाए सहायक अध्यापक (एलटी) प्रधानाचार्य बने बैठे हैैं। अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. हरि प्रकाश यादव बताते हैं कि स्थाई भर्ती न होने से कालेजों में पढ़ाई प्रभावित है। कालेज के ही शिक्षक के कार्यवाहक प्रधानाचार्य होने से खींचतान की स्थिति रहती है। वैसे भी प्रवक्ता को कम से पांच और सहायक अध्यापक को कक्षा में छह पीरियड प्रतिदिन पढ़ाने होते हैैं। इस दशा में कार्यवाहक प्रधानाचार्य या तो शिक्षक के अपने मूल पद के साथ न्याय नहीं करते या फिर प्रधानाचार्य पद के साथ अन्याय करते हैैं। इससे नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ता है। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड से चयनित प्रधानाचार्य जहां हैैं, वहां का पठन-पाठन बेहतर है।

भर्ती विज्ञापन निकालने  

इधर, चयन बोर्ड ने 2011 और 2013 में प्रधानाचार्य पद की भर्ती तो निकाली, लेकिन 2011 की भर्ती में छह मंडलों में करीब 400 पदों पर नियुक्ति अटकी है। वर्ष 2013 के 599 पदों की भर्ती प्रक्रिया में चयन बोर्ड आगे नहीं बढ़ सका। भर्ती विज्ञापन निकालने पर करीब 25 हजार आवेदन आए, लेकिन उसके बाद कोई प्रगति नहीं है। तीसरी कोई कोई भर्ती इसके बाद आई नहीं। इन अटकी भर्तियों को लेकर चयन बोर्ड का रुख स्पष्ट न होने से आवेदन करने वालों में नाराजगी है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश मंत्री डा. संतोष शुक्ल ने कहा है कि स्थाई प्रधानाचार्य नहीं होने से कालेजों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने साक्षात्कार की तिथि जल्द घोषित नहीं किए जाने पर चयन बोर्ड कार्यालय के समक्ष अनशन की चेतावनी दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.