खुद का ब्रांड विकसित करने का शुरू से रहा मकसद Prayagraj News
अंकितराज के पिता जीपी श्रीवास्तव ने आटोमोबाइल कारोबार वर्ष 1992 में शुरू किया था। उन्होंने राजापुर में सरस्वती मोटर्स के नाम से हीरो होंडा का शोरूम खोला था। उसके बाद धीरे-धीरे कारोबार का विस्तार होता गया। वर्ष 2006 में चौक क्षेत्र में विश्वम्भर सिनेमा के अंदर एक डीलरशिप खोली गई।
प्रयागराज,जेएनएन। मेहनत, लगन, धैर्य, ईमानदारी और ग्राहकों की संतुष्टि किसी व्यापार में सफलता की मूल पूंजी मानी जाती है। इस पर अमल करते हुए कारोबार को ऊंचाई तक पहुंचाने वाले सरस्वती मोटर्स के पार्टनर अंकितराज श्रीवास्तव बताते हैं कि करीब 28 साल पहले बहुत छोटी पूंजी से व्यापार की शुरुआत हुई थी। पिता की मेहनत और खुद के ब्रांड को विकसित करने के उद्देश्य ने शुरू किया गया व्यापार इस समय करीब 130 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर तक पहुंच गया है।
1992 में अंकित के पिता ने सरस्वती मोटर्स के नाम खोला था हीरो होंडा का शोरूम
अंकितराज के पिता जीपी श्रीवास्तव ने आटोमोबाइल कारोबार वर्ष 1992 में शुरू किया था। उन्होंने राजापुर में सरस्वती मोटर्स के नाम से हीरो होंडा का शोरूम खोला था। उसके बाद धीरे-धीरे कारोबार का विस्तार होता गया। वर्ष 2006 में चौक क्षेत्र में विश्वम्भर सिनेमा के अंदर एक डीलरशिप खोली गई।
बहुत थोड़ी रकम से पिता ने की थी कारोबार की शुरुआत
वह बताते हैं कि पिता ने बहुत थोड़ी रकम से व्यापार की शुरुआत की थी। एक-एक पाई जोड़ते गए और खुद की आमदनी से व्यापार को आगे बढ़ाते गए। लेकिन खुद का अपना ब्रांड स्थापित करने के उद्देश्य से और ग्राहकों की संतुष्टि को सर्वोपरि रखते हुए कारोबार को उन्होंने आगे बढ़ाया।
प्रयागराज और कौशांबी में कुल 18 शोरूम हो गए हैं
इसका परिणाम यह है कि मौजूदा समय में प्रयागराज और कौशांबी में कुल 18 शोरूम हो गए हैं। अब सभी एजेंसी हीरो होंडा की जगह हीरो मोटो कॉर्प की हो गई हैं। वह बताते हैं कि जब कारोबार की शुरुआत हुई थी तब सालाना टर्नओवर करीब पांच करोड़ रुपये था। जो अब करीब 130 करोड़ रुपये सालाना हो गया है।
सभी शोरूम खुद के हैं, एक भी शोरूम किरए पर नहीं है
2014 से इस कारोबार को संभालने वाले अंकितराज बताते हैं कि उनके सभी शोरूम खुद के हैं। कोई शोरूम किराए पर नहीं है। कारोबार के लिए बैंकों से कभी लोन भी नहीं लिया गया। इसका फायदा उन्हें लॉकडाउन में मिला। न किसी शोरूम का उन्हें किराया देना था न ही किसी प्रकार की उन पर देनदारी थी।
लॉकडाउन के बाद बाजार खुला तो पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया कारोबार
आज के व्यापार में सबसे बड़ा खतरा लोन पर ली गई पूंजी और किराए पर ली गई दुकानें अथवा शोरूम का खर्च उठाने का होता है। बताया कि लॉकडाउन के बाद जब बाजार खुला तो जून महीने में पिछले साल की तुलना में दोगुना कारोबार हुआ।
कोविड-19 की गाइड लाइन का कर्मचारी और ग्राहक करते हैं पूरी तरह पालन
शोरूमों में सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों और ग्राहकों को मॉस्क लगाने, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से अनुपालन हुआ। इसका अनुपालन अभी भी हो रहा है। यही वजह है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब तीन सौ लोगों के जुड़े होने के बावजूद कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं हुआ।
लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश
शोरूम के पार्टनर का कहना है कि लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की जाती है। उनके विश्वास को कायम रखते हुए करीब तीन दशक से कारोबार को अग्रसर बनाए रखा गया है।
ग्राहकों की संतुष्टि है हमारी पहली प्राथमिकता
ग्राहकों की संतुष्टि को बरकरार रखते हुए कारोबार की पूरी जिम्मेदारी अब मैनें स्वयं संभाल ली है। यहीं से कौशांबी तक के आउटलेट्स पर नजर रखी जाती है। एक-दो महीने बिक्री में काफी ग्रोथ हुई लेकिन पहले जैसी स्थिति बहाल होने में अभी समय लगेगा। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के पहले बाजार की चेन जिस तरह की बनी थी। वह लॉकडाउन में टूट गई है। उस चेन को बनने में अभी समय लगेगा। जब तक कड़ी से कड़ी चेन जुड़ेगी नहीं तब तक कारोबार सरपट नहीं दौड़ेगा। ग्राहकों को किसी तरह की शिकायत न हो। यह हमारी पहली प्राथमिकता रहती है। क्योंकि किसी भी कारोबार की सफलता का यह मूलमंत्र होता है। अगर ग्राहक संतुष्ट नहीं होगा तो आपके प्रतिष्ठान पर नहीं आएगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उत्पादन पर असर, गाडि़यां मिलने देरी से होती है परेशानी
कोरोना की वैक्सीन विकसित न होने तक आम जनता और व्यापारियों में दहशत का जो माहौल है। उससे कारोबार में संचालन में अभी दिक्कतें पेश आ रही हैं। कंपनियों में उत्पादन पूरी क्षमता से नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से गाडिय़ां मिलने में भी कई बार परेशानियां होती हैं।