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मिली हाथ की शक्ति तो बढ़ा आत्मविश्वास

वात्सल्य सभागार में रविवार को आयोजित एलएन-4 कृत्रिम हाथ शिविर लगाया गया। इसमें 464 जरूरतमंद लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 05:35 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 05:35 PM (IST)
मिली हाथ की शक्ति तो बढ़ा आत्मविश्वास
मिली हाथ की शक्ति तो बढ़ा आत्मविश्वास

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद :

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वात्सल्य सभागार में रविवार को आयोजित एलएन-4 कृत्रिम हाथ शिविर में दूर दराज से आने वाले 464 जरूरतमंदों को निश्शुल्क कृत्रिम हाथ लगाए गए। इससे उनके जीवन में कुछ कर दिखाने कीद एक नई आस जग गई है। रोटरी इलाहाबाद नार्थ व दैनिक जागरण की ओर से आयोजित शिविर में पुणे से आए 12 विशेषज्ञों की मौजूदगी में सैकड़ों पैरामेडिकल की छात्राओं द्वारा लोगों को इसके बारे में ट्रेनिंग भी दी गई। इस शिविर में इलाहाबाद के अलावा अन्य जनपदों व राज्यों के लोग भी पहुंचे थे।

जिलाध्यक्ष अनुपम टंडन के निगरानी में आयोजित शिविर में सभी लाभार्थियों को उपहार भी दिया गया। यहां सभी को यह हाथ लगाने के बाद ट्रेनिंग भी दी गई ताकि घर जाने पर उन्हें किसी तरह की समस्या न हो। यह कृत्रिम हाथ सिर्फ उन्हीं लोगों को लगाया गया जिनके कोहनी के नीचे चार इंच तक हाथ हो। कृत्रिम हाथ लगवाने वालों के चेहरे पर खुशियां साफ झलक रही थी। कोई अपने बेटे के साथ, कोई पति के साथ तो कोई माता पिता के साथ यहां पहुंचा था। पुणे से आई रोटरी क्लब ऑफ पूना डाउन टाउन के सदस्यों प्रदीप मुनौत, शबीर, अनिल चढ्डा, विक्रमजीत, राजेश गप्ता, आशीष राय, मनोज, हरीश, हसन शेख, दीपिका चढ्डा, इप्सिता रे की निगरानी में यह हाथ लगाया गया। डॉ. कृतिका अग्रवाल ने लाभार्थियों का उत्साहवर्धन किया। इसमें सहायक प्रोग्राम मैनेजर अमित अग्रवाल, संजय गुप्ता, तरूण जग्गी, कुलजीत सिंह, आकाश पुरी, संदीप, अभिलाष जैन, अमित कक्कड़ शरद जैन, सौरभ अग्रवाल आदि ने सहयोग किया। फोटो : 210

प्रतापगढ़ निवासी साहिल कोरी का 11 फरवरी को सड़क हादसे में दोनों हाथ कट गए थे। इससे वह काफी सदमे में रहते थे लेकिन हाथ लगने से उसका आत्मविश्वास बढ़ा है। वह खुश था। फोटो 209

झूंसी निवासी प्रकाश एजी ऑफिस में वरिष्ठ लेखाकार हैं। कहते हैं कि वर्ष 1991 में चारामशीन से हाथ कट जाने से काफी परेशानी होती थी लेकिन अब काम करने में काफी सहुलियत मिलेगी। फोटो 208

करछना के भटौली से आई रानी देवी कहती हैं कि कुछ दिन पहले करेंट लग जाने से उनका हाथ काट दिया गया। इससे बहुत परेशानी होती थी। संस्था के प्रति हम बहुत धन्यवाद देते हैं। फोटो 207

उग्रसेनपुर के 70 वर्षीय राजनरायण कहते हैं कि पूरी जवानी बिना हाथ के कट गई लेकिन अब इस हाथ के लग जाने से कुछ राहत मिलेगी। 40 साल पहले मशीन से हाथ कट गया था। फोटो 206

शाहगंज निवासी रमेशचंद्र प्रजापति हाथ व पैर दोनों से दिव्यांग हैं। इनकी पत्नी मीना कहती हैं कि इस कृत्रिम हाथ लगने से पति को राहत मिलेगी। बेटा अभिषेक भी इससे खुश था। फोटो 205

लूकरगंज निवासी प्रदीप खत्री रेलवे विभाग में ठेकेदार हैं। कुछ दिन पहले ही इनका एक हाथ कट गया। अब उन्हें कपड़े पहनने, नहाने व अन्य कामों में परेशानी होती थी। अब उनका मनोबल बढ़ा है। फोटो 204

साउथ मलाका के चार वर्षीय अमन कनौजिया का बांया हाथ जन्म से ही कटा है। उसे रूमा, रेनू, नीलम कृत्रिम हाथ लगा रहीं थीं। अमन भी चुपचाप हाथ लगवा रहा था। लोग उसे ही देख रहे थे। फोटो 203

पति के साथ हाथ लगवाने पहुंची प्रतापगढ़ की मनीषा बताती हैं कि कुद दिन पहले करंट लग जाने से हाथ झुलस गया। लोग कमेंट करते हैं लेकिन अब मुझे इस हाथ से खुशी है।

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विशेष :

बेटी की याद में यह दंपती फ्री में बांट रहा हाथ

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-अमेरिका की एलन मीडोज की हो गई थी सड़क दुर्घटना में मौत

इससे माता पिता ने छेड़ दी यह अंतर्राष्ट्रीय मुहिम

जासं, इलाहाबाद :

अमेरिका के कैलिफोर्निया में रह रहे इस दंपती ने अपनी बेटी के याद में एक ऐसी मुहिम की शुरूआत कर दी है जिससे हजारों लोगों को लाभ मिल रहा है वह भी मुफ्त में। यह कृत्रिम हाथ कहां से आ रहा है और यह फ्री में क्यों लगाया जा रहा है, यह यहां आने वाले लाभार्थियों को शायद पता नहीं है।

दरअसल, कैलिफोर्निया के मार्ज मीडोज व उनकी पत्नी अर्नी मीडोज की इकलौती बेटी थी एलेन मीडोज। मार्ज एक डिजाइनर थे। करीब 10 साल पहले एलेन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इससे माता पिता सदमें में आ गए। काफी दिनों तक वह इस सदमें से उबर नहीं सके। वह अपनी बेटी के याद में कुछ ऐसा करने चाहते थे ताकि पूरे विश्व में उसके नाम से लोगों की मदद की जा सके और हमेशा के लिए अमर हो जाए। इसके लिए पिता मार्ज ने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें हाथ नहीं है। उन्होंने एलेन मीडोज प्रोथास्टेटिक हैंड फांउडेशन बनाया जिसमें कृत्रिम हाथ बनाने का काम शुरू किया। विभिन्न संस्थाओं से भी इसमें सहयोग मांगा और अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के 30 देशों में इसे भेजना शुरू किया वह भी बिल्कुल में। यह दंपती अपनी बेटी की याद में अभी भी लोगों को यह कृत्रिम हाथ लगाने के लिए काम कर रहे हैं। इंडिया में रोटरी संस्था की मदद से इसका लाभ लोगों को मिल रहा है। अमेरिका से इसे भारत तक पहुंचाने का खर्च भी मार्ज के फाउंडेशन द्वारा ही दिया जाता है। इसमें खास बात यह है कि लाभार्थी से एक रुपये भी नहीं लेना है। भारत में अब तक 2600 लोगों को इसका लाभ मिल चुका है।

रोटरी क्लब ऑफ पूना डाउन टाउन के सदस्य शबीर बताते हैं कि इसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाना है।


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