आयुर्वेद में छिपा सेहत का खजाना, आसान है आजमाना
करछना आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान कला और दर्शन का
करछना : आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेद का अर्थ है, जीवन से संबंधित ज्ञान। आयुर्वेद, भारतीय आयुíवज्ञान है। आयुíवज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
आयुर्वेद पद्धति से इलाज का कोई तोड़ नहीं है। इससे साइड इफेक्ट का खतरा नहीं रहता है। सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद द्वारा इलाज आज भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर कोरोना काल में औषधियों का उपयोग बढ़ा है। करछना के बरदहा गाव निवासी आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रेमनाथ कुशवाहा का कहना है कि उनके पास दूर-दराज इलाकों सहित शहर तक से इलाज कराने वाले आते हैं। असाध्य रोगों का आसानी से इलाज हो जाता है। सफेद दाग, त्वचा रोग, बवासीर, पेट संबंधी कोई भी रोगी हो, जिसका इलाज व निदान गारंटी के साथ किया जाता है। कोई भी दवा देने से पहले शोध करके ही दवा देते हैं। आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा लोग लंबा जीवन जी सकते हैं। जल्द ठीक होने के चक्कर में लोगों का रुझान दूसरी चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ा है, जबकि इलाज कराने पर निदान तो मिलता है, लेकिन रोग की जड़ तक न पहुंचने से बीमारी वैसे ही बनी रहती है। करछना गाव निवासी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि तमाम सावधानी बरत कर बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। कोरोना से बचाव के लिए बताते हैं कि चिरायता, गिलोय, दालचीनी, काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से कोरोना जैसी बीमारियों में रामबाण औषधि का काम करता है। जब से कोरोना बीमारी फैली है वे लगातार इसका सेवन कर रहे हैं। साथ ही अपने परिचितों को भी इसका इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। आवला, हर्रय, बहेर्रा, मेथी, सौंफ, मुलेठी, नींबू जैसे घरेलू नुस्खे अपनाकर गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सकता है। खास बात यह कि इसमें कम खर्च में सही इलाज हो जाता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सालय में बढ़ी मरीजों की संख्या
कौंधियारा : संधिवात, उदर रोग, श्वांस, गठिया, शुगर, चर्म रोग आदि असाध्य बीमारियों के साथ कोरोना जैसी संक्रमित बीमारी फैलने के बाद लोगों में आयुर्वेद के प्रति रुझान तेजी से बढ़ा है। हालांकि कौंधियारा विकास खंड क्षेत्र में आयुर्वेदाचार्य एवं वैद्य का अभाव है। समूचे कौधियारा विकास खंड में मात्र एक आयुर्वेदिक अस्पताल मवैया ग्राम पंचायत में संचालित है। जहा कई माह से डॉक्टर भी नियुक्त नहीं है। मात्र कंपाउंडर एवं दो कर्मचारियों के भरोसे उक्त अस्पताल संचालित किया जा रहा है। कंपाउंडर रवि प्रकाश ने बताया कि पहले की अपेक्षा मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है इसका मुख्य कारण लोगों का आयुर्वेद की तरफ रुझान बढ़ा है। दूसरी तरफ करोना काल में सभी अस्पतालों में ओपीडी बंद चल रही है। आयुर्वेदिक अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध है। ओपीडी भी हो रही है। इसलिए क्षेत्र के मरीजों के साथ-साथ दूरदराज के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। आयुर्वेदिक दवाओं की खपत क्षेत्र में संचालित मेडिकल स्टोरों में भी बढ़ी है। वैद्य एवं आयुर्वेदिक चिकित्सक के अभाव में मरीज स्वत : आवला, एलोवेरा, जामुन, आयुर्वेदिक चूर्ण, च्यवनप्राश आदि आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल करने लगे हैं।