Move to Jagran APP

जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहींः हाईकोर्ट

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि आंदोलन के दौरान किसी जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहीं है जैसा कि कानून में वर्णित है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 09:48 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 12:47 AM (IST)
जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहींः हाईकोर्ट
जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहींः हाईकोर्ट

इलाहाबाद (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि आंदोलन के दौरान किसी जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहीं है जैसा कि कानून में वर्णित है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एसीजेएम जलेसर इटावा के समक्ष चल रही आपराधिक प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए दिया है। कोर्ट ने सपा नेता धर्मेंद्र यादव को नोटिस जारी कर इस मामले में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है। सत्येंद्र सिंह जादौन और अन्य लोगों ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। 

loksabha election banner

मुख्यमंत्री का पुतला फूंका था

इस मामले में याचीगण भाजपा कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंका था। दो नवंबर, 2014 को धर्मेंद्र यादव ने थाना जलेसर एटा में इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई। इसमें कहा गया कि भाजपा के 20 सदस्यों ने अखिलेश यादव का पुतला फूंका जो यूनाइटेड प्राविंसेज स्पेशल पावर एक्ट 1932 की धारा छह के तहत दंडनीय अपराध है। कहा गया कि आरोपियों ने न सिर्फ पुतला फूंका बल्कि नारा लगाते हुए रास्ता अवरुद्ध कर दिया। कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए धर्मेंद्र यादव को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.