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बालक की मौत के गम में डूबा ताड़बाग, सिसकियां और विलाप Prayagraj News

ताड़बाग में रहने वाले इलेक्ट्रीशियन राबिन के तीन वर्षीय पुत्र युवराज को गुरुवार रात करीब आठ बजे तेज रफ्तार कार ने कुचल दिया था। मुहल्‍ले के लोगों में गम का माहौल है।

By Edited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 05:25 PM (IST)
बालक की मौत के गम में डूबा ताड़बाग, सिसकियां और विलाप Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। धूमनगंज के ताड़बाग में गुरुवार रात मासूम युवराज की कार की चपेट में आने से मौत के बाद भारी बवाल मचा था जबकि शुक्रवार को वहां गम का साया रहा। शांत माहौल में परिजनों की सिसकियां ही सुनाई दे रही थीं। पुलिस ने भोर में पोस्टमार्टम कराया और शव को कुछ देर के लिए घर लाने के बाद नीवां घाट पर अंतिम संस्कार करा दिया। पीड़ित परिवार के घर के पास फोर्स मुस्तैद रही।

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सड़क हादसे में हुई थी बालक की मौत

ताड़बाग में रहने वाले इलेक्ट्रीशियन राबिन के तीन वर्षीय पुत्र युवराज को गुरुवार रात करीब आठ बजे तेज रफ्तार कार ने कुचल दिया था। कार में मौजूद युवक नशे में थे। लोगों ने कार तथा मौके पर आए मजिस्ट्रेट की गाड़ी और पुलिस की दो बाइक तोड़ दी थी। इस बवाल के चलते पुलिस को आशंका थी कि दिन में शव पहुंचने पर फिर लोग आक्रोशित होकर बखेड़ा कर सकते हैं। इसी वजह से रात में ही पंचनामा की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। भोर में डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम किया। परिवार के लोग भी वहां मौजूद थे।

मासूम युवराज का शव देख सभी की आंखों में आंसू थे

पोस्टमार्टम के बाद मासूम युवराज का शव घर ले जाया गया तो बाहर मौजूद मां पूनम समेत परिवार और रिश्ते की महिलाएं रोने कलपने लगी। दुलारे बेटे के वियोग में रात भर रोते रोते मां पूनम पहले से निढाल थी। आंखें लाल और सूज गईं थीं। वह बेटे के शव को सीने से चिपकाकर विलाप करने लगी तो माहौल बेहद गमगीन हो गया। पुलिस के समझाने पर परिवार के लोगों ने मां को किसी तरह संभाला और बच्चे का शव उठाकर नीवां घाट की तरफ चल दिए। साथ में पुलिस और पैरा मिलेट्री फोर्स भी थी। कार्यवाहक थाना प्रभारी कैंट विनोद कुमार सरोज ने मासूम का शव खुद गोद में ले लिया और पैदल घाट तक ले गए। कछार में शव दफनाने में भी इंस्पेक्टर विनोद ने पूरा सहयोग किया।

उड़ गया मेरा तोता, बिलखती रही दादी 

तीन साल के प्यारे मासूम युवराज का चेहरा यादकर जब मोहल्ले वाले दुखी हो रहे हैं तो परिवार के लोगों का हाल समझा जा सकता है। एमईएस में कार्यरत दादा लल्लू लगातार आंसू बहा रहे थे तो दादी मंजू की हालत और भी खराब थी। महिलाओं के बीच निढाल बैठी दादी मंजू बार-बार यह कहकर फफक पड़ रही थी कि उड़ गया हमारा तोता, उड़ा दिया हमारे तोते को.., अब कैसे वापस आएगा प्यारा तोता, हे भगवान। दादी और मां को शांत करा रही महिलाएं खुद अपने आंसू नहीं रोक पा रही थीं। दोपहर बाद तक घर पर महिलाओं की भीड़ जमा रही।


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