वृद्ध के परिवारवाले मिन्नतें करते रहे... डाक्टरों ने नहीं सुनी, मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य ने भर्ती कराया
प्रयागराज में एसआएन अस्पताल के प्रधानाचार्य बोले कि कोई बीमार यदि अस्पताल आता है तो पूरी तरह स्वस्थ होने पर ही डिस्चार्ज किया जाना चाहिए। एक डाक्टर की यह जिम्मेदारी बनती है कि यदि रोगी को दूसरी कोई तकलीफ है तो उसे संबंधित डाक्टर के पास भेजने की व्यवस्था करे।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। रोगियों को उनकी तकलीफ महसूस किए बिना डाक्टर कभी-कभी बला समझ कर टालने की कोशिश करते हैं। अस्पतालों मेंं यह अक्सर होता है। कुछ ऐसा ही प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआनएन) में दिखा। हार्निया के आपरेशन के बाद डिस्चार्ज किए गए वृद्ध की आक्सीजन अचानक कम हो गई। डाक्टरों ने मिन्नतों के बावजूद उसे कहीं और इलाज कराने का दबाव बनाते हुए टाल दिया। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को पता चला तो उनके हस्तक्षेप पर रोगी को पल्मोनरी विभाग में भर्ती किया गया।
सर्जरी विभाग डिस्चार्ज के बाद वृद्ध को सांस की तकलीफ हुई : यमुनापार में सोरांव तहसील क्षेत्र के स्माइलपुर गांव निवासी 74 वर्षीय चंद्रिका प्रसाद को एसआरएन अस्पताल में सर्जरी विभाग के वार्ड से डिस्चार्ज कर दिया गया। उस समय उन्हें सांस की तकलीफ महसूस हुई। लेकिन डाक्टरों ने तीमारदारों के गिड़गिड़ाने के बावजूद एक न सुनी। फौरन वार्ड से चले जाने का फरमान सुना दिया। इस पर घरवाले चंद्रिका प्रसाद को प्रमुख चिकित्साधीक्षक कार्यालय ले गए। वहां भी कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
वृद्ध की हालत में सुधार : इसी बीच मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. एसपी सिंह पहुंचे। उन्हें यह मामला पता चला। इस पर उन्होंने मरीज की तकलीफ को समझते हुए उन्हें पल्मोनरी विभाग भेजा। वहां जांच के बाद भर्ती कर लिया गया। विभाग के डा. अभिषेक ने बताया कि चंद्रिका प्रसाद की हालत फिलहाल ठीक है।
क्या कहते हैं मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. एसपी सिंह : डा. एसपी सिंह ने कहा कि कोई बीमार यदि अस्पताल आता है तो पूरी तरह स्वस्थ होने पर ही उसे डिस्चार्ज किया जाना चाहिए। एक डाक्टर की यह जिम्मेदारी बनती है कि यदि रोगी को दूसरी कोई तकलीफ है तो उसे संबंधित डाक्टर के पास भेजने की व्यवस्था करे।