War Against Coronavirus : महामारी से जंग में ये 'स्पेशल बच्चे' भी हार मानने को तैयार नहीं हैं, गजब का है जज्बा
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में स्पेशल बच्चे भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। उनके अभ्यास और प्रशिक्षण का सिलसिला लॉकडाउन में भी नहीं थमा था।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे देश को अपनी जद में ले रखा है। ऐसे में लोग बदलते परिवेश में खुद को उसी अनुसार ढालने की कोशिश में लगे हैं तो इसमें 'स्पेशल बच्चे' भी पीछे कहां रहने वाले। दृष्टि बाधित और मूक बधिर बच्चे भी वीडियो कॉलिंग व फोन से निरंतर अभ्यास कर समाज की मुख्य धारा से कदमताल कर रहे हैं। ऐसा करके वह यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी हममें हौसला की कोई कमी नहीं है।
मल्लिका चटर्जी कहती हैं- ऑडियो और वीडियो कॉल से जुड़े हैं बच्चे
अलग-अलग संस्थानों में करीब 26 साल से स्पेशल बच्चों को पढ़ाई लिखाई के साथ गीत, संगीत, अभिनय का प्रशिक्षण दे रहीं मल्लिका चटर्जी ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में भी ऐसे बच्चे उनके संपर्क में रहे। जो देख नहीं सकते लेकिन सुन सकते हैं वे अभिभावकों की मदद से फोन कर के निरंतर गीत का अभ्यास कर रहे हैं। जो देख सकते हैं लेकिन सुन और बोल नहीं सकते वे वीडियो कॉलिंग की मदद से अभिनय का अभ्यास कर रहे हैं।
अंकित प्रतिदिन करते हैं अभिनय का अभ्यास
सोहबतिया बाग निवासी अंकित यादव बचपन डे केयर स्कूल में पढ़ते हैं। सुन और बोल नहीं सकते, लेकिन अभिनय का शौक रखते हैं। स्कूल व कुछ संगठनों के आयोजन में कई स्टेज शो कर चुके हैं। प्रतिदिन वीडियो कॉल पर अपनी प्रशिक्षक से इशारों में बात करते हैं। पढ़ाई के साथ ही अभिनय का भी अभ्यास करते हैं, इसके अलावा अपने पिता की दुकान पर जाकर कैश आदि गिनने में भी सहयोग करते हैं।
नंदिता और दिव्यांशी फोन पर ही साधती हैं सुर
खुल्दाबाद में रहने वाली दिव्यांशी सिंह और नंदिता कुशवाहा दृष्टि बाधित हैं। यह भी बचपन डे केयर स्कूल की छात्रा रह चुकी हैं। परिवार वालों और प्रशिक्षक मल्लिका चटर्जी की मदद से संगीत साधना कर रही हैं। दोनों बच्चे सप्ताह में निर्धारित दिन के अनुसार फोन करते हैं और संगीत के सुर साधते हैं। इन स्पेशल बच्चों ने भी कई स्टेज शो किए हैं। दिव्यांशी को भोजपुरी गीत अधिक पसंद हैं। नंदिता को देशभक्ति के गीत को गाना रास आता है।
आयुष तिवारी ऑनलाइन कक्षाओं में कर रहे पढ़ाई
शहर में ही रहने वाले आयुष तिवारी की आंख की रोशनी बचपन से ही कम है। नियमित अभ्यास और परिश्रम के बलबूते वे वर्तमान में दिल्ली यूनिवर्सिटी से संस्कृत से बीए आनर्स कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की चलने वाली ऑनलाइन कक्षाओं में वे नियमित रूप से शामिल होते हैं। संगीत का भी शौक रखते हैं। इसके लिए भी वे अपने प्रशिक्षक व अन्य साथियों के साथ ग्रुप बनाकर ऑनलाइन अभ्यास कर रहे हैं। उनके सभी कार्यों में पिता प्रयाग दत्त तिवारी पूरा सहयोग करते हैं।