Allahabad University : सर्च कमेटी के लिए लगने लगी है परिक्रमा Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सर्च कमेटी में सदस्यों के नाम तय होने को लेकर रिटायर्ड शिक्षकों की भी दखलअंदाजी है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से सर्च कमेटी के दो सदस्यों का नाम तय किए जाने पर रिटायर्ड हो चुके शिक्षकों की भी खूब दखलंदाजी है। यही वजह है कि एक रिटायर्ड प्रोफेसर साहब तो पिछले दिनों दिल्ली पहुंच गए। उन्होंने इविवि के एक दिग्गज प्रोफेसर से कमेटी में एक सदस्य का नाम शामिल किए जाने की पैरवी भी की। इस पर प्रोफेसर ने उनकी पैरवी को सिरे से खारिज तो कर ही दिया बल्कि उल्टा फटकार भी लगा दी। अलबत्ता सवाल भी दाग दिया कि जब रिटायर्ड हो चुके हो तो बुढ़ापे में पसली को दर्द क्यों दे रहे हो। आराम से घर पर परिवार को वक्त देने की नसीहत भी दे डाली। अब उन प्रोफेसर साहब को कौन बताए कि बेचारे प्रोफेसर साहब को घर में सुकून नहीं है। वह तो कहते हैं हवा का चाहे जो भी रुख हो लेकिन बरगद का पत्ता तो उनकी मर्जी से हिलेगा।
काश! कुर्सी पर मैं आइसोलेट हो जाऊं
वाह रे, कोरोना...। कुछ दिन के लिए कुर्सी तो बचा ही ली। कम बोलने वाले साहब आजकल बहुत गदगद हैं। अब तो केंद्र और राज्य सरकार ने बाकायदा एडवाजरी जारी कर छुट्टी कर दी है। कोरोना का हवाला देकर साहब ने इविवि कार्य परिषद की बैठक टाली तो खूब हंगामा बरपा। सब इसे कोरोना का बहाना बताकर अधिक समय तक कुर्सी पर जमे रहने का आरोप गढऩे लगे। साहब भी जलवा बनाने के लिए रोजाना आते हैं। ऐसे में जितने मुंह उतनी बातें चल रही हैैं। लोग तो यहां तक कह रहे हैैं कि जिंदगी के लिए दुश्मन बना कोरोना कुर्सी के लिए तो संजीवनी बन गया। कोरोना आने के बाद वह मंदिर भी पहुंच गए। उन्होंने भले ही कुछ भी मांगा हो, लेकिन बड़बोले कह रहे हैैं कि मंदिर में कोरोना महराज से प्रार्थना कर आए हैैं कि कुर्सी पर मुझे आइसोलेट कर दो। अब देखिए आगे होता है क्या।
देखिए, क्या सिद्धि मिलती है मंत्र से
छात्रसंघ चुनाव पर कमेटी बनने के बाद ही फिलहाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नए-नए छात्र, नेता बनने के लिए बाजार चमकाने में जुट गए हैं। पुराने पदाधिकारी तो लापता हो गए हैं। शायद अब उन्हें इस बात का अंदेशा हो चुका है कि लॉलीपाप दिया जा रहा है कमेटी के बहाने। एक पदाधिकारी तो दूसरे जिले के बड़े विश्वविद्यालय में दाखिले के चक्कर में लगे हैं। उनके लिए पैरवी भी खूब की जा रही है। कुछ ने तो कोरोना वायरस का बहाना बताकर खुद को आइसोलेट कर लिया है। इन सबके बीच एक नेताजी पूर्व कुलपति का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। वह जांच कमेटी को ढेरों फाइलें दे गए हैं। कमेटी उन फाइलों में ही उलझी पड़ी है। अब नए वाले नेता पुराने पदाधिकारियों से मंत्र लेने पहुंच रहे हैं, लेकिन लोगों को इंतजार है कि आखिर मंत्र से क्या सिद्धि मिलती है?