प्रयागराज के अरैल में मोरारी बापू की श्री राम कथा शुरू Prayagraj News
बापू ने कहा कि अपने धर्म में सभी को सदैव निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए। इसी को अक्षयवट कहते हैं। मोरारी बापू ने कथा के दौरान युवाओं की मनोवृत्ति पर फोकस किया।
प्रयागराज,जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में अक्षयवट अनादि काल से अपनी सनातन जड़ें डालकर अवधूत की तरह बैठा है। अक्षय यानी अखंड-अनंत। जो न कभी टूट सकता है और न ही कभी खत्म हो सकता है। इसका गर्व प्रत्येक भारतवासी को होना चाहिए। इसका गुणगान सभी को करना चाहिए। यह मेरे लिए निजी रूप से परम प्रसन्नता का अवसर है कि अपनी और श्रीराम कथा अक्षयवट भी सुन रहा है। इस आयोजन का पहला श्रोता अक्षयवट ही है। श्रीरामचरितमानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने प्रयागराज के अरैल में श्री राम कथा की शुरुआत कुछ इन्हीं भावपूर्ण शब्दों से की।
प्रत्येक वट में किसी न किसी देवता का रहता है वास
देश विदेश से आए हजारों श्रोताओं को विशाल पंडाल में श्री राम कथा का रसपान कराते हुए मोरारी बापू ने सबसे पहले 'रामकथा-मानस अक्षयवटÓ को आयोजन का विषय निर्धारित किया। तो वहीं 'पूजहिं माधव पद जलजाता, परसि अखय वटु हरषहिं गाता-संगमु सिंहासनु सुठि सोहा, छत्रु अखय वटु मुनि मन मोहाÓ चौपाई से कथा का शुभारंभ किया। बापू ने बताया कि प्रत्येक वट में किसी न किसी देवता का वास रहता है।
वटवृक्ष में शिव का सदैव वास
वटवृक्ष में शिव का सदैव वास होता है। कहा कि मानस के सभी सोपान में वट के दर्शन होते हैं। धर्म की चर्चा करते हुए बापू ने कहा कि अपने धर्म में सभी को सदैव निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए। इसी को अक्षयवट कहते हैं। मोरारी बापू ने कथा के दौरान युवाओं की मनोवृत्ति पर फोकस किया। कहा कि युवाओं को भोग रस की छूट है। खूब आनंदित रहें, खुलकर जिएं लेकिन, याद रखें कि मोरारी कभी उन्होंने मोरारी बापू से कथा सुनी थी।