आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक सुरेंद्र शुक्ल बोले- वेदों को बचाने के लिए विहिप की कोशिश जारी है
आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक सुरेंद्र शुक्ल बोले कि वेदों को फिर से जीवंत करने के लिए उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए अशोक सिंहल ने 1992 में देश भर से विद्वानों के सम्मेलन में प्रयागराज में कहा कि वेद हमारे ज्ञान की थाती हैं। इनमें संपूर्ण ज्ञान विज्ञान समाहित है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक रहे अशोक सिंहल वेदों के लुप्त होने की स्थिति तक पहुंचने पर खासे चिंतित रहते थे। यही वजह है कि दयानंद सरस्वती के बाद अशोक सिंहल ही पहले ऐसे व्यक्ति बने, जिन्होंने दोबारा देश में वेदों को जीवंत करने का संकल्प लिया। इस संकल्प को मूर्त रूप देने के लिए भी ठोस कदम उठाए। यह बातें विहिप की तरफ से चलने वाले वेद विद्यालयों की प्रबंध समिति के पूर्व उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ स्वयंसेवक 80 वर्षीय सुरेंद्र शुक्ल ने कहीं।
1992 के सम्मेलन में वेद विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया
उन्होंने बताया कि वेदों को फिर से जीवंत करने के लिए, उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए अशोक सिंहल ने 1992 में देश भर के विद्वानों को प्रयागराज में एकत्र किया। उनके सम्मेलन में कहा कि वेद हमारे ज्ञान की थाती हैं। इनमें संपूर्ण ज्ञान विज्ञान समाहित है। इसे बचाने के लिए हम सब को समग्र प्रयास करना होगा। इस ज्ञान को प्राप्त कर के ही हम फिर से वैश्विक परिदृष्य पर अपनी छाप छाप छोड़ सकेंगे। इसी सम्मेलन में तय किया गया कि देश भर में वेद विद्यालय खोले जाएंगे। वेद के जानकारों को उन विद्यालयों से जोड़ा जाएगा।
प्रयागराज में दो वेद विद्यालय
सबसे पहले दिल्ली में वेद विद्यालय स्थापित हुआ। उसके बाद प्रयागराज, काशी व अन्य स्थानों पर भी विद्यालय खोले गए। वर्तमान में उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए संगमनगरी में दो विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। एक विद्यालय विहिप के प्रांतीय कार्यालय केशर भवन में चल रहा है तो दूसरा महावीर भवन में संचालित है। इन विद्यालयों में वेदों की पढ़ाई को और विस्तारित करने की भी योजना है। वेद विद्यालय समिति का प्रयास है कि यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा भी मिलती रहे। जिससे वह भविष्य में देश दुनिया के साथ कदमताल कर चल सकें।
252 विद्वानों ने किया था यज्ञ
वेद विस्तार के लिए संगमनगरी में जुटे विद्वानों ने विहिप संरक्षक अशोक सिंहल के साथ यज्ञ भी किया था। इस सम्मेलन में 252 विद्वान शामिल हुए थे। उसके बाद हर साल लगने वाले माघ मेले में भी इसे लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनती थी। उस पर अमल भी किया गया। यही वजह है कि संगठन की ओर से चलने वाले वेद विद्यालयों से लोग जुड़ रहे हैं।