...तो इस कारण सरकारी स्कूल के बच्चों ने बैग लेने से इंकार कर दिया Prayagraj News
शिक्षा विभाग की ओर से लापरवाही इस कदर है कि पूछिए मत। सरकारी स्कूलों में बच्चों को बांटने के लिए आए बैग के साइज छोटे हैं। इससे कापी-किताब ही उसमें पूरी नहीं आ पा रही है।
प्रयागराज, जेएनएन। शिक्षा को लेकर सरकार चाहे जितना भी प्रयास करे लेकिन लापरवाही इसमें बाधक बन ही जाती है। विद्यार्थियों को मुफ्त बंटने के लिए आए बैग में कापी-किताब ही पूरी नहीं आ पा रही है। यही कारण है कि बच्चों ने बैग लेने से इंकार कर दिया है। कुछ प्रधानाचार्यों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की हालांकि वह इन्हीं बैगों को बांटने की बात कह रहे हैं।
कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए शासन ने भेजे थे बैग
जिले के परिषदीय स्कूलों के अलावा माध्यमिक विद्यालयों में भी कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं को वितरण के लिए सर्वशिक्षा अभियान के तहत कुल 471991 बैग शासन से आए। बीएसए कार्यालय की ओर से परिषदीय स्कूलों के साथ माध्यमिक विद्यालयों में भी बैग वितरण के लिए भेजे गए। हालांकि कक्षा छह, सात और आठ के विद्यार्थियों के लिए आए बैग का आकार छोटा है। इससे सभी विषयों की किताब उसमें नहीं आ पा रही है। विद्यार्थियों को प्रतिदिन आठ-नौ किताबें और इतनी ही कापियां विद्यालय लेकर जाना पड़ता है। टिफिन, पेंसिल बॉक्स, पानी की बोतल आदि रखने के लिए बैग में जगह नहीं रहती। कुछ विद्यालयों में छात्रों की संख्या के हिसाब से पूरे बैग भी नहीं दिए गए।
कॉलेजों के प्रधानाचार्यों ने अधिकारियों से की शिकायत
राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार सिंह ने इसकी शिकायत एडी बेसिक, डीआइओएस, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से की। उन्होंने बताया कि कुल 671 बच्चों के सापेक्ष 570 बैग ही मिले हैं। बैग का आकार छोटा होने से बहुत से बच्चों ने लेने से मना कर दिया। प्रत्येक बैग की कीमत 115 रुपये है। केपी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बैग का साइज छोटा होने से कापी-किताबें नहीं आ पा रही हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारी बोले
खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय अर्जुन सिंह कहते हैं कि जो साइज निर्धारित हुई थी, आपूर्तिकर्ता ने उसे बीएसए कार्यालय भेज दिया। सभी विद्यालयों में शत-प्रतिशत बैग का वितरण हो गया है।