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सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल 'हाउसफुल'

भीषण गर्मी का असर छोटे बच्चों में अधिक दिख रहा है। इन दिनों डायरिया व निमोनिया से बच्चे अधिक पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में शहर के सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हास्पिटल में एक बेड पर पांच बच्चों का एक साथ इलाज किया जा रहा है। हास्पिटल हाउस फुल हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 10:00 AM (IST)
सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल 'हाउसफुल'
सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल 'हाउसफुल'

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भीषण गर्मी का असर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर पड़ रहा है। यही कारण है कि चिल्ड्रेन हॉस्पिटलों में इन दिनों भीड़ अधिक हो रही है। दूर दराज से लोग अपने बच्चे का इलाज कराने मुख्यालय पहुंच रहे हैं। सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की स्थिति तो यह है कि यह इन दिनों हाउसफुल चल रहा है। यहां ओपीडी में सुबह से ही दूर दराज से आने वालों की कतार लग रही है। इनमें सबसे अधिक उल्टी, दस्त, सर्दी जुकाम आदि से पीड़ित हैं। यहां ओपीडी में प्रतिदिन 400 से 500 तक की संख्या में बच्चे आ रहे हैं।

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सोमवार को दैनिक जागरण ने चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की पड़ताल की तो अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ रही। यहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके यादव की ओपीडी में अभिभावक अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर इलाज कराने पहुंचे थे। यहां इमरजेंसी वार्ड-तीन में तो आलम यह है कि एक बेड पर पांच बच्चों का इलाज किसी तरह किया जा रहा है। करीब एक दर्जन स्टॉफ यहां बच्चों की देखरेख करने में जुटा है। इसमें एसी तो लगी है, लेकिन भीड़ इस कदर है कि वह भी काम नहीं कर रही है। कुछ अभिभावक तो पंखी से अपने बच्चों को हवा देते रहे। यहां एक दवा काउंटर होने के कारण दवा लेने वालों की भीड़ अधिक होती है डॉ. आरके यादव कहते हैं कि ओपीडी में आने वाले अधिकांश बच्चे उल्टी, दस्त, निमोनिया की बीमारी से ग्रसित हैं।

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रुपये खत्म तो इलाज बंद :

झलवा निवासी संगीता देवी के पांच दिन के बेटे की तबीयत अधिक खराब हो गई। इलाज के लिए शहर के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया था। सोमवार को जब परिजन रुपये देने में असमर्थ हुए तो अस्पताल के लोगों ने इलाज करने से मना कर दिया। विवश होकर परिजन प्राइवेट एंबुलेंस से सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहुंचे तो वहां उसका इलाज शुरू हो सका।

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इस गर्मी से बच्चों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। बच्चे डायरिया व निमोनिया से अधिक ग्रसित हो रहे हैं। हॉस्पिटल में आने वाले सभी बच्चों का इलाज कराना हमारी प्राथमिकता होती है। इस समय करीब 150 बच्चे यहां भर्ती हैं।

-डॉ. अनुभा श्रीवास्तव, सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल


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