यह भी जानें, इंडोनेशिया की दैनिक बोलचाल की भाषा में संस्कृत शब्दों का होता है प्रयाेग Prayagraj News
इंडोनेशिया के लोग नमस्कार के लिए हाथ जोड़कर स्वस्तिमअस्तु बोलते हैं। वहां की बोलचाल की भाषा में संस्कृत के तमाम शब्द शामिल रहते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। क्या आपको पता है कि इंडोनेशिया के लोग अपनी बोलचाल की भाषा में संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते हैं। वहीं एक-दूसरे को नमस्कार करने के लिए हाथ जोड़कर स्वस्तिमअस्तु बोलते हैं। वहां सेमिनार में शामिल होने के बाद वापस स्वदेश लौटे शिक्षाविदों ने इस बात की पुष्टि की।
इंडोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से लौटे शिक्षाविदों ने साझा किए संस्मरण
इंडोनेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से लौटे प्रयागराज के शिक्षाविदों ने अपने संस्मरण साझा किए। डॉ. ऊषा मिश्रा ने बताया कि रामकथा के विविध आयाम विषय पर हुए सेमिनार में उन्होंने 'राम जनम के हेतु अनेका' पर बाली विश्वविद्यालय में आख्यान प्रस्तुत किया। वहां एमए और एमएड के छात्र-छात्राओं ने श्रीराम और सीता के संबंध में रुचि दिखाते हुए कई प्रश्न पूछे और उत्तर से संतुष्ट हुए।
वहां के लोग नमस्कार की मुद्रा में दोनों हाथ जोड़ कर स्वस्तिमअस्तु बोलते हैं
बाली विश्वविद्यालय के संस्मरण साझा करते हुए प्रयाग महिला विद्यापीठ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ऊषा मिश्रा ने कहा कि वहां नमस्कार की मुद्रा में दोनों हाथ जोड़ कर स्वस्तिमअस्तु बोलते हैं, जो कि संस्कृत का शब्द है। दैनिक बोलचाल में संस्कृत के शब्द का अधिक उपयोग होता है। श्रीगणेश की प्रतिमा प्राय: सभी घरों और प्रतिष्ठानों में स्थापित है। प्रत्येक दिन इनकी पूजा भी होती है। डॉ. ऊषा के अलावा प्रयागराज से प्रोफेसर राम किशोर शर्मा और केएन पांडेय भी बाली विश्वविद्यालय इंडोनेशिया गए थे।
जीवन को व्यवस्थित करने के सभी तत्व बाली विश्वविद्यालय में विद्यमान
डॉ. राम किशोर शर्मा ने बताया कि रामकथा के अनुसार जीवन को व्यवस्थित और संतुलित करने के सभी तत्व बाली विश्वविद्यालय में विद्यमान हैं। केएन पांडेय ने सेमिनार में राम वन गमन से संबंधित काव्यपाठ किया।