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संस्कृत के सितारे हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चांद और इरफान Prayagraj News

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में छह मुस्लिम विद्यार्थी वर्तमान में वेद-उपनिषद और श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे हैं। पूर्व में कुछ छात्र बाकायदा शोध कर चुके हैैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 05:03 PM (IST)
संस्कृत के सितारे हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चांद और इरफान Prayagraj News
संस्कृत के सितारे हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चांद और इरफान Prayagraj News

प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। भाषा पर किसी मजहब का विशेषाधिकार नहीं। इसे साबित करता है पूरब के ऑक्सफोर्ड यानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय का संस्कृत विभाग। यहां अध्ययनरत चांद मोहम्मद और अब दिल्ली में शोध कर रहे इरफान, वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को लेकर आगे बढ़ रहे हैैं। ऐसे दौर में जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में फिरोज खान की बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर विवाद सरगर्म है, यहां पढऩे वाले छात्र-छात्राएं कहीं ना कहीं थोड़े व्यथित हैैं, हालांकि उनका मानना है कि यह तूफान बुलबुला है और जल्द थम जाएगा। 

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यहां कई मुस्लिम छात्र कर रहे हैं वेद और उपनिषद की पढ़ाई

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में छह मुस्लिम विद्यार्थी वर्तमान में वेद-उपनिषद और श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे हैं। पूर्व में कुछ छात्र बाकायदा शोध कर चुके हैैं। कुछ अब भी कर रहे हैैं। इविवि संस्कृत विभाग के प्रोफेसर राम सेवक दुबे बताते हैैं कि विश्वविद्यालय के संस्कृत पाठ्यक्रम में श्रीमद्भागवत गीता, वेद, उपनिषद और महाकाव्य में शिशुपाल वध आदि शामिल है।  मुस्लिम विद्यार्थियों को इसमें प्रवेश पर रोक नहीं है। विभागाध्यक्ष प्रो. उमाकांत यादव कहते हैैं कि यहां से पढ़ाई कर चुके कई छात्र आज शोध कर रहे हैं।

छठवीं में ही माहेश्‍वर सूत्र सीख चुके थे चांद

करछना के सोनाई गांव निवासी चांद मोहम्मद एमए (संस्कृत) अंतिम वर्ष के छात्र हैं। कहते हैैं विषय तो सभी के लिए है। बीएचयू में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति पर नाहक बखेड़ा हो रहा है। वह सवाल करते हैैं कि मजहब के आधार पर भाषा का बंटवारा कैसे हो सकता है? बकौल चांद मोहम्मद वह छठवीं कक्षा में ही माहेश्वर सूत्र सीख चुके थे। नई दिल्ली से उन्होंने शिक्षाशास्त्री की उपाधि ली। वह घर के इकलौते सदस्य हैं जो वेद-उपनिषद् पढ़ रहे हैं। उनके जीवन का सूत्र वाक्य है वसुधैव कुटुंबकम्।

ये छात्र भी इविवि में संस्कृत पढ़ रहे

मो. तानिब, आवेश अहमद, अमजद अंसारी, गुलशन बानो और फहमिदा फरहीन भी इविवि में संस्कृत पढ़ रहे हैैं। वर्ष 2012 में संस्कृत में परास्नातक कर चुके इरफान सिद्दीकी वर्तमान में दिल्ली विवि में आधुनिक संस्कृत पर शोध कर रहे हैं। वर्ष 2013 में परास्नातक करने वाले ताहिर अली इन दिनों दिल्ली में वेद और पुराण पर शोध कर रहे हैं।

प्रो. केजे नसरीन बनीं मिसाल

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. किश्वर जबीं नसरीन की चर्चा आज भी होती है। उन्होंने जिस आत्मीयता से संस्कृत से नाता जोड़ा, वह अनुकरणीय है। उनकी बहन अफ्शा जबी सिनी का भी संस्कृत से बहुत लगाव है।


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