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संगम तीरे सेना ने ढहाए दो सौ से ज्यादा अतिक्रमण

गुरुवार की दोपहर सेना रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड की टीम ने संगम के किनारे अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर दो सौ निर्माण ढहा दिए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 09:43 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:03 AM (IST)
संगम तीरे सेना ने ढहाए दो सौ से ज्यादा अतिक्रमण

जासं, प्रयागराज : गुरुवार की दोपहर सेना, रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड की टीम ने संगम के किनारे अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। अचानक शुरू हुए इस अभियान से वहां अफरातफरी मच गई। शाम तक चले अभियान में संगम किनारे पंडों के स्थल और दुकानों को तोड़ दिया गया। दो सौ से ज्यादा अतिक्रमण ढहाए गए।

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परेड मैदान की जमीन सेना की है। इसलिए वहां पर कोई भी गतिविधि या व्यवसायिक कार्य के लिए सेना से अनुमति लेनी पड़ती है। हनुमान मंदिर से आगे संगम की ओर करीब डेढ़ सौ तीर्थ पुरोहित (पंडे) पूजा पाठ के लिए चौकी रखकर जगह घेरे हुए थे। करीब पचास दुकानें भी अवैध रूप से खुली हुई थीं। गुरुवार को इन अतिक्रमण पर सेना की जेसीबी गरजा। कुछ पंडों ने कार्रवाई का विरोध किया लेकिन सेना के आगे उनकी एक न चली। शाम तक चले अभियान में करीब दो सौ अवैध कब्जे तोड़े गए हैं। इसके बाद परेड पर हुए पक्के निर्माण को ढहाया जाएगा।

जताया विरोध, डीएम को सौंपा ज्ञापन

प्रयागराज : सेना की कार्रवाई का पंडों के संगठन प्रयागवाल सभा ने विरोध किया है और अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। सभा के अध्यक्ष सुभाष पांडेय और महामंत्री राजेंद्र पालीवाल ने कहा कि 2013 में भी सेना ने ऐसी ही कार्रवाई की थी। उस दौरान सेना और तीर्थ पुरोहितों के बीच एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत 112 तीर्थ पुरोहितों को चौकी रखने की अनुमति दी गई थी। यह समझौता मेजर जनरल विश्वंभर दयाल के सामने हुआ था। सेना की यह कार्रवाई अनुचित है। डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि अगले 24 घंटे में उन्हें उनकी जगह नहीं मिली मिली तो प्रदर्शन किया जाएगा। ले सकते हैं अनुमति

कैंट बोर्ड की ओर से संगम तीरे छह दुकानों को अनुमति दी गई है। वह दुकानें लगी हैं और उनसे शुल्क लिया जा रहा है। इसके अलावा वहां पर अन्य किसी को अनुमति नहीं है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि तीर्थ पुरोहित चाहें तो अनुमति ले सकते हैं।


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