CoronaVirus Effect : खांसी और डायरिया की दवाओं की Lockdown में घट गई है बिक्री Prayagraj News
एंटीबायोटिक एंटीपायरेटिक एनॉलजेसिक और डायरिया की थोक दवाओं की बिक्री पिछले वर्ष अप्रैल महीने में करीब 100 करोड़ रुपये की हुई थी। वह इस बार घटकर करीब 70 से 75 करोड़ रह गई।
प्रयागराज, जेएनएन। लॉकडाउन के कारण घर में रहने का फायदा लोगों को मिल रहा है। बाहर न निकलने और दुकानों, रेस्टोरेंटों का खानपान बंद होने से बुखार, खांसी और डायरिया जैसी मौसमी बीमारियां भी लोगों को बहुत कम हो रही हैं। इससे इन बीमारियों की दवाओं की बिक्री पिछले वर्ष (अप्रैल) से इस बार करीब 25 से 30 फीसद घट गई है।
बाहरी खानपान की दूरी से मौसमी बीमारियों से राहत
जीसी-200, एगुमेंटिन, ओ फ्लाक्सेसिन, सिप्रो फ्लॉक्सेसिन, पैरासिटामाल आदि दवाएं एंटीबायोटिक, एंटीपायरेटिक, एनॉलजेसिक हैं जो मौसमी बुखार, खांसी और डायरिया में कारगर होती हैं लेकिन इस बार गर्मी में लॉकडाउन होने से मौसमी बीमारियां कम हुईं। लिहाजा, जो एंटीबायोटिक, एंटीपायरेटिक, एनॉलजेसिक और डायरिया की थोक दवाओं की बिक्री पिछले वर्ष अप्रैल महीने में करीब 100 करोड़ रुपये की हुई थी। वह इस बार घटकर करीब 70 से 75 करोड़ रह गई। यानी इन दवाओं की बिक्री में लगभग 25 से 30 फीसद की गिरावट दर्ज की।
ओआरएस का घोल, पुदीना कैप्सूल की बिक्री में भी कमी
इलेक्ट्रॉल और ओआरएस का घोल, पुदीना कैप्सूल की बिक्री में भी कमी आई है। इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल दुबे ने बताया कि लॉकडाउन में लोगों के घरों में रहने का असर यह हुआ कि खांसी, जुकाम, बुखार और डायरिया जैसी मौसमी बीमारियां कम हुईं। जिससे इन दवाओं की बिक्री लगभग एक तिहाई कम हुई।
दिल, रक्तचाप व मधुमेह की दवाओं की बढ़ी मांग
दिल, रक्तचाप व मधुमेह की दवाओं के सेल में करीब पांच फीसद की वृद्धि हुई। यह दवाएं ऐसी हैं जो मरीजों को नियमित खानी पड़ती है। हालांकि, लॉकडाउन में इन दवाओं का स्टॉक करने के फेर में बिक्री बढ़ गई थी।